उपासनाके स्थापना दिवस वर्षगांठकी पूर्व सिद्धता हेतु हम कुछ साधक मांके कुछ दिवस पूर्व गोड्डा गए थे उसी जनपदके लुकलुकी ग्रामके कालीके देवालयमें मैं सभीके साथ आरती कर रहा था | उस समय बहुतसे लोगोंके साथ ही मां भी उपस्थित थीं | आधी आरतीके पश्चात् मैने अपने नेत्र बंद किए तो भान हुआ कि परम पूज्य गुरुदेव डॉ. जयंत आठवले मेरे पीछे खडे हैं, उनकी उपस्थितिकी प्रतीति इतनी स्पष्ट थी कि मुझे लगा कि मैं पीछे मुडकर देख लूं ; किन्तु मैं तब भी नेत्र बंद कर आरती करता रहा तभी परम पूज्य गुरुदेव मेरे कंधेपर हाथ रखते हैं, उनके स्पर्शसे मैं अत्यधिक आनन्दित हो जाता हूं और पीछे मुडकर देखता हूं तो लगा जैसे वे मेरे साथ ही खडे हैं और मुस्कुरा रहे हैं उनके हाथका स्पर्शका भान मुझे अभी भी कभी कभी होता है और उसी आनन्दका अनुभव करता हूं | – ब्रिज अरोडा, इटली
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