गोड्डा, झारखण्डकी सुनैना कुमारीकी अनुभूति


पहले मेरा पढनेमें बिलकुल मन नहीं लगता था, परन्तु जबसे मैं काली मंदिरमें ‘उपासना’के सत्संगमें जाने लगी हूं और नामजप करने लगी हूं, तबसे मेरा मन आनन्दी रहने लगा है और पढाईमें मेरा मन लगने लगा हैं । अब सत्संगमें न जाऊ, तो मन अस्वस्थ हो जाता है, और नामजप भी उठते-बैठते होने लगा है ।

                                                                 – सुनैना, झारखण्ड (३.४.२०११)



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