उपासनाके आश्रमके निर्माण कार्यके मध्य मिले सीखने योग्य तथ्य (भाग – ४)
वैदिक उपासना पीठका मुख्य कार्य धर्मप्रसार करना है; अतः भूमिका चयन करते समय वह जिज्ञासु एवं साधकोंके लिए आनेमें सुगम हो इस बातका भी हमें ध्यान रखना था ! भूमिका चयन करते समय कुछ भूमि हमें बहुत सस्ते मिल रहे थे; किन्तु वहां यातायातकी सुविधा बहुत अच्छी नहीं थी; इसलिए हमने उन्हें नहीं लिया ! चूंकि उपासनाके साधक सम्पूर्ण विश्वमें फैले हुए हैं अतः यहां महानगरोंसे ट्रेन या हवाईयानसे आनेकी भी सहज सुविधा हो, इसका भी ध्यान रखना आवश्यक था ! आजके हिन्दुओंको वैसे भी धर्म और अध्यात्ममें रुचि बहुत कम है, ऐसेमें सुदूर क्षेत्रमें आश्रम बनानेसे हमारा उद्देश्य सिद्ध नहीं होता; किन्तु अभी जिस स्थानपर आश्रम ईश्वरने दिलाया है वह राजमार्गपर स्थित है; यद्यपि इंदौर नगरसे ४७ किलोमीटरकी दूरीपर है तथापि यहां यातायातकी सुविधा बहुत अच्छी है !
आनेवाले आपातकालमें जब पेट्रोल और डीजल न के बराबर उपलब्ध होगा तो ऐसेमें खाने-पीनेकी वस्तुएं बहुत ही कठिनाईसे उपलब्ध होंगी ! और आज जो लोग हमें पागल या निराशावादी समझ रहे हैं, वे आपातकालमें ऐसे सभी आश्रमोंमें शरण लेंगे; इसलिए आश्रमके आस-पास ऐसा गांव चाहिए था जो स्वयंपूर्ण अर्थात जहां दिनचर्या हेतु सर्व आवश्यक सामग्री एवं दिनचर्याकी वस्तुएँ सम्बंधित मिस्त्री इत्यादि उपलब्ध हों ! अतः आश्रमके भूमिके चयनके पश्चात हम उससे लगे हुए मानपुर ग्राममें गए विशेषकर उसके हाटमें गए और हमने पाया कि वहां तरकारीसे लेकर सुनारतककी दूकानें थीं ! इसप्रकार यह भी एक तथ्य पूर्ण हुआ क्योंकि इसबारका आपातकाल एक दो दिवसका तो रहेगा नहीं, कहीं-कहीं महीनों तो कहीं वर्षों आपात स्थिति बनी रहेगी ! नैसर्गिक और मानव निर्मित आपदाओंमें एक बडे कुटुंबके साथ रहने हेतु एक स्वयंपूर्ण ग्रामका आस-पास होना अति आवश्यक होता है; क्योंकि आपात स्थितिमें आसपास सब नित्य उपयोगकी वस्तुएं मिल सके एवं घोडा गाडी या बैल गाडीसे भी सब वस्तुएं थोडे समयमें लायी जा सके, इसका भी ध्यान रखना आवश्यक था और ईश्वरीय कृपासे ऐसा गांव दो किलोमीटरपर ही है अर्थात आपात स्थितिमें भी हमारी सर्व व्यवस्था वैसे ही चलती रहे, इसका पूर्वनियोजन करना भी अति आवश्यक था और इन सभी बिन्दुओंको ध्यानमें रखकर ही उपासनाके आश्रमकी भूमिकाका चयन करना था और ईश्वरने सबकुछ वैसा ही दिया भी इस हेतु उनके चरणोंमें कोटिश: कृतज्ञता !
– (पू.) तनुजा ठाकुर
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