२१ दिनकी बन्दीके समयका सदुपयोग कैसे करें ? (भाग-२)
आप जितना अधिक समय ‘इण्टरनेट’को देंगे, उतना ही कोरोनाके विषयमें भय व नकारात्मकता निर्माण होगी; इसलिए साधना करें, ईश्वरपर अपनी श्रद्धा बनाए रखें !
अनावश्यक अधिक समय ‘मोबाइल’ या संगणकपर (कम्प्यूटरपर) समय बितानेसे मन एवं बुद्धिपर सूक्ष्म काला आवरण निर्माण होकर, अनेक प्रकारके शारीरिक और मानसिक कष्ट निर्मित होते हैं । और वैसे भी थोडे समयमें काल इतना विपरीत हो जाएगा कि शासनको ‘इण्टरनेट’ सेवाएं भी बन्द करनी पडेंगी । ऐसेमें यह व्यसन आपको बहुत कष्ट देगा; इसलिए अभीसे इससे थोडी-थोडी दूरी बनाना आरम्भ कर दें ! हमारे यहां धर्मग्रन्थोंकी कमी नहीं है, इस समयका सदुपयोग ग्रन्थ वाचन हेतु करें ! धार्मिक या सन्त लिखित ग्रन्थोंके वाचनसे हमारे मन एवं बुद्धिपर रज-तम जीवन शैलीके कारण निर्माण हुआ काला आवरण नष्ट होकर, बुद्धि सात्त्विक होकर विवेकमें परिणित होती है ।
ग्रन्थ ऐसा पढें जिससे आपकी साधनाको गति मिले, आपकी शंकाओंका समाधान हो एवं अध्यात्मके तथ्योंका ज्ञान हो । इस हेतु यदि आपके पास ग्रन्थ नहीं हैं तो आप हमारे जालस्थल (www.
vedicupasanapeeth.org) या सनातन संस्थाकी ‘वेबसाइट’ (
www.sanatan.org) या हिन्दी जन जागृतिके जालस्थलपर (
www.hindujagruti.org) डाले हुए धर्मशिक्षण देनेवाले लेख पढ सकते हैं । मेरे कहनेका अर्थ है कृपया समय व्यर्थ न करें ! यह भी कोई ईश्वरीय संकेत ही है कि हमें यह शुभ अवसर मिल रहा है कि हम इसका लाभ उठाकर साधना एवं धर्म उन्मुख हों !
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