उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग -११)


उपासनाके गुरुकुलमें जैसे पूर्वकालमें सैनिक सिद्ध किए जाते थे, वैसे ही जिन विद्यार्थियोंका वर्ण क्षत्रिय (जाति नहीं) होगा, उन्हें उस वर्णकी शिक्षा अन्तर्गत युद्ध हेतु पारम्परिक एवं आधुनिक, दोनों ही प्रकारके शस्त्र चलानेकी शिक्षा दी जाएगी और ऐसे विद्यार्थियोंको युद्धकलाके साथ ही यदि उनमें राज्य करनेकी योग्यता होगी तो उन्हें राजधर्म भी सिखाया जाएगा । हिन्दू राष्ट्रमें वर्ण व्यवस्था पुनः अधिष्ठित हो जाएगी; इसलिए उपासनाके गुरुकुल, ‘क्षात्रधर्म’ व ‘राजधर्म’की भी शिक्षा देंगे । वैसे आपात परिस्थितिमें इस देशका प्रत्येक युवा युद्धक्षेत्रमें जाकर अपने कौशल्य अनुसार योगदान दे सके, इसकी पूर्वसिद्धता सभी विद्यार्थियोंको कराई  जाएगी एवं हिन्दू राष्ट्रमें सभी युवाओंको दो वर्ष सेनामें (थल, जल या वायु) सेवा देना अनिवार्य होगा, जो यह नहीं कर सकते हैं, उन्हें पांच वर्ष सामाजिक कार्यमें निःशुल्क योगदान देना अनिवार्य होगा । इससे युवावर्गमें समाज और राष्ट्रके प्रति प्रेम और निष्ठा निर्माण होगी ।
    इस प्रकार उपासनाका गुरुकुल पूर्वकालके गुरुकुलके समान राष्ट्रके योद्धा भी निर्माण करेगा अर्थात सैन्य शिक्षा भी इसका अनिवार्य व अविभाज्य अंग होगा ।


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