उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग-३)
उपासनाके गुरुकुलमें बच्चोंके प्रवेशकी आयु आठ वर्ष होगी एवं सभी विद्यार्थीको बारह वर्ष गुरुकुलमें रहना अनिवार्य होगा | यद्यपि यह बंधन नहीं होगा इसलिए यदि विद्यार्थी अपनी शिक्षा मध्यमें छोडकर जाना चाहते हैं तो भी जा सकते हैं किन्तु सामान्यत: १२ वर्षतक रहना अनिवार्य होगा | इस गुरुकुलके विद्यार्थीको धर्म अधिष्ठित गृहस्थ जीवन व्यतीत करनेकी सर्व शिक्षा दी जाएगी | जो कोई विद्यार्थी किसी भी क्षेत्रमें शोध कार्य करना चाहते हैं तो वे अपनी उच्च शिक्षा एवं शोध कार्य हेतु गुरुकुलमें ही रह सकते हैं |
सामान्य विद्यार्थी सम्मानसे स्वयंका जीविकोपार्जन आरम्भ कर सके इसकी पूर्वसिद्धता गुरुकुलमें की जाएगी | इस हेतु उनके विशेष कौशल्यको देखकर उन्हें उनके जीविकोपार्जन हेतु विशेष प्रशिक्षण दी जाएगी एवं सोलह वर्षकी आयुसे उन्हें गुरुकुलमें शिक्षाके अतिरिक्त जो वह गुरुकुलके लिए जो सेवा देगा, उसके स्थानपर उसे मानदेयके रूपमें एक छोटी सी राशि दी जाएगी जिस राशिसे वे आगेका अपना व्यवसाय आरम्भ कर सके या गृहस्थी आरम्भ करनेमें उसका उपयोग कर सकें | इसप्रकार दहेजकी प्रथा एवं वृत्तिहीनता दोनों ही समाप्त हो जाएगी एवं गुरुकुलसे शिक्षा पूर्ण कर, युवा व युवती दो-चार वर्षोंमें अपना गृहस्थ जीवन भी आरम्भ कर पाएंगे | इसप्रकार उपासनाके गुरुकुलसे शीक्षित विद्यार्थी ज्ञानी, सुसंस्कारी एवं सामाजिक जीवन हेतु परिपक्व, आर्थिक रूपसे स्वावलंबी होकर बाहर आएंगे एवं एक स्वस्थ स्व धर्म अधिष्ठित समाजकी रचना करेगा व समाजकी अनके समस्याका स्वतः ही अंत हो जायेगा |
गुरुकुलसे शिक्षित विद्यार्थी जो संन्यास मार्गका अवलंबन करना चाहते हैं या पूर्ण समय कुछ वर्षके लिए साधना करना चाहते हैं या राष्ट्र व धर्म हेतु अपना योगदान देना चाहते हैं, वे गुरुकुलमें रहकर यथोचित विद्या ग्रहण कर या प्रशिक्षण प्राप्त कर, व्यष्टि एवं समष्टि साधना व सत्सेवा कर सकते हैं | इसप्रकार उपासनाके गुरुकुलमें सैनिक व शासक दोनों भी सिद्ध किए जायेंगे जैसे पूर्वकालमें किये जाते थे | उन सबके लिए विद्यार्थियोंको उनकी प्रकृति एवं क्षमता अनुरूप सिद्ध किया जायेगा |
आरम्भमें एकसे चार वर्षतक विद्यार्थियोंको गुरुकुल जीवनसे अभ्यस्थ किया जाएगा एवं उसके पश्चात विद्यार्थियोंका उपनयन संस्कार किया जाएगा ! यह वैसे तो पूर्वकाल समान सभी विद्यार्थियोंके लिए अनिवार्य होगा; किन्तु धर्मग्लानि अपने चरमपर होनेके कारण जैसे-जैसे विद्यार्थियोंको यह संस्कार त्वरित नहीं कराया जाएगा एवं जैसे-जैसे उसकी मानसिक एवं बौद्धिक सिद्धता उपनयन धारण करने हेतु होता जायेगा वैसे-वैसे यह कराया जायेगा; क्योंकि बिना यज्ञोपवीत संस्कारके पुरुष, वेद पठन या शास्त्र पठनका अधिकारी नहीं होता है और ऐसे पुरुष यदि उसे पठन कर भी ले तो वह उसे आत्मसात नहीं कर पाता या ब्रह्मतेजके अभावमें उसे समझ नहीं सकता है; इसलिए यह जैसे पूर्वकालमें तीनों वर्णोंके लिए अनिवार्य था वैसे ही विद्यार्थियोंके सूक्ष्मसे वर्ण निर्धारित कर (जो संत करेंगे क्योंकि इसका निर्धारण मात्र वे ही कर सकते हैं) उन सबका उपनयन संस्कार किया जायेगा एवं शास्त्राभ्यास व उनके गूढ अर्थोंको आत्मसात करने हेतु उन्हें साधना हेतु प्रवृत्त किया जाएगा ! तीन चार दशकमें जब समाज धर्मपालन करने लगेगा तो उपनयनके पश्चात ही उन्हें गुरुकुलमें प्रवेश मिलेगा !
जिस बालिकाका आध्यात्मिक स्तर ६१ % से अधिक होगा उनका भी उपनयन संस्कार किया जाएगा एवं उसे भी वेदपठनका अधिकार होगा |
आरम्भमें यह संस्कार गुरुकुलमें सामूहिक रूपसे किया जायेगा एवं धीरे-धीरे जब समाज इसका महत्त्व समझ जाएगा तो वह वैयक्तिक स्तरपर स्वतः ही होने लगेगा !
प्रत्येक वर्ष गुरुकुलकी शिक्षा सत्रका नूतन वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदासे आरम्भ होगा, उससे पूर्व सामूहिक उपनयन संस्कार कराया जाएगा जो पुनः निःशुल्क होगा एवं इसमें जो इस गुरुकुलमें विद्या अर्जन कर रहे हैं, उनके एवं नूतन विद्यार्थियोंके लिए भी होगा | इसके लिए आचार्यगण स्थूल एवं सूक्ष्म मापदण्डोंके आधारपर योग्य विद्यार्थियोंका चयन करेंगे |
यह गुरुकुल बालक एवं बालिकाओं दोनोंके लिए होगा | यदि आप ऐसे गुरुकुलका निर्माण करना चाहते हैं या अपने बच्चोंको पढाने हेतु इच्छुक हों या इसके निर्माणमें किसी भी प्रकारसे योगदान देना चाहते हैं तो हमें अवश्य संपर्क करें ।
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