उपासनाका गुरुकुल कैसा होगा ? (भाग – ९)
पिछले छ माहसे मेरे मनमें गुरुकुल आरम्भ करनेकी तीव्र इच्छा हो रही है; इसलिए मैं अपना चिन्तन भी आपके समक्ष प्रस्तुत कर ही रही हूं; किन्तु मनुष्यबल एवं धनके अभावमें यह आरम्भ नहीं कर पा रही हूं | तभी कुछ दिवस पूर्व एक साधिकाके विषयमें मुझे ध्यान आया, वह संस्कृतकी शिक्षिका है एवं इस विषयको सिखानेकी तीव्र उत्कंठा है, उनका आध्यात्मिक स्तर भी बहुत अच्छा है और सबसे अच्छी बात है कि वे विनम्र हैं और साधकत्वका प्रमाण भी अधिक है ! वैसे मैंने उन्हें अभी देखा नहीं है, उपासनाके आचार्यके साक्षात्कार हेतु उनकी स्थूल उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी, वह सूक्ष्मसे उनका आध्यत्मिक स्तर और साधकत्व देखकर निर्धारित कर लिया जायेगा, यह भी हमारे गुरुकुलकी विशेषता होगी ! ) अर्थात उपासनाके संस्कृत आचार्य हेतु जो आवश्यक गुण चाहिए वह सब उनमें है ! इसलिए कलके शुभ दिवससे हम ऑनलाइन इस वर्गका शुभारम्भ कर रहे हैं | इस प्रकार उपासनाका ऑनलाइन गुरुकुल कलसे आरम्भ हो रहा है !
इच्छा तो मेरी यह भी है कि छोटे स्तरपर ही सही किन्तु उपासनाका गुरुकुल हमारे आश्रम परिसरमें भी आरम्भ हो; क्योंकि आज जो स्थिति है वह अगले तीन-चार वर्ष भिन्न-भिन्न कारणोंसे बनी रहेगी ही और ऐसेमें बच्चोंकी पढाई-लिखाई सतत बाधित होगी | यदि बच्चे गुरुकुलमें रहेंगे तो सुरक्षित भी रहेंगे, हिन्दू राष्ट्र हेतु उनकी पूर्व सिद्धता भी हो जाएगी एवं साथ ही उनकी विद्यार्जनमें भी कोई व्यवधान नहीं आएगा ! यदि ईश्वरकी इच्छा हुई तो यह स्वप्न भी शीघ्र साकार होगा !
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