आपातकालमें सीखें दोष एवं अहं निर्मूलनकी प्रक्रिया !
प्राप्त समाचारके अनुसार कोरोना महामारीके कारण होनेवाली इस बन्दीके कालमें अनके घरोंमें घरेलु हिंसामें अत्यधिक वृद्धि हुई है ! वसुधैव कुटुम्बकं वाले इस देशमें आज पति-पत्नी और दो बच्चे एक साथ २१ दिवस प्रेमसे नहीं रह सकते हैं इससे अधिक साधकत्वका और क्या ह्रास हो सकता है ?
एक समय था जब ५०-६० लोग प्रेमसे एक ही छतके नीचे रहते थे; किन्तु आज इस आपातकालमें लोग अपने विवेकका परिचय देकर प्रेमसे अपने ही परिवारके सदस्योंके साथ नहीं रह सकते हैं; और इसका कारण बहुत ही सरल है सभीमें दोष और अहंका प्रमाण बहुत अधिक बढ गया है ! अतः इस आपातकालमें सभी दोष एवं अहं निर्मूलन हेतु प्रयास आरम्भ करें !
ध्यान रखें यह जो कोरोना विषाणु है, यह सूक्ष्म जगतकी आसुरी शक्तियोंद्वारा निर्मित है, स्थूलमें इसके निर्माणका कारण चाहे जो भी हो ! इसलिए घरमें वाद-विवाद या लडाई-झगडे होनेपर दो हानि अवश्य होने लगेगी एक तो घरका वातावरण सूक्ष्मसे अशुद्ध होता जाएगा एवं दूसरा लक्ष्मीका प्रवेश अवरुद्ध होगा इससे आपके कष्ट स्थूलसे बढ जाएंगे; इसलिए कलके लेखमें मैंने लेखमें मैंने बताया था कि घरके सभी सदस्य एक दिनचर्या बनाएं जिसमें साधनाको प्राथमिकता दें ! जैसे प्रातः सूर्योदयसे पूर्व उठकर घरमें ही योगासन, प्राणायाम या व्यायाम करें | उसके पश्चात सभी सदस्य मिल-जुलकर घरकी स्वच्छता एवं वास्तु शुद्धि करें तथा स्नानकर घरके द्वारपर यदि संभव हो तो रंगोली बनाएं एवं अपने देव घरमें पंचोपचार पूजन कर तीन या पांचकी संख्यामें भावपूर्वक आरती करें ! प्रातः अल्पाहार(नाश्ता) होनेके पश्चात सभी लोग एक कोई धार्मिक ग्रन्थ अपने रुचि अनुसार पढें या सुनाएं ! साथ ही भाव वृद्धि हेतु एक दो भजन भी गा सकते हैं ! यह क्रम संध्या समय भी करें यदि आपके कोई गुरु हों तो आप उनका सत्संग सुनें ! शेष समयमें आप अपने बच्चोंको समय दें, कुछ सामाजिक कार्यमें यदि बिना बाहर गए या शासनद्वारा बनाए गए नियमको न तोडते हुए कुछ सहायता कर सकते हैं तो करें | यदि इस दिनचर्याके मध्य कोई ऐसा प्रसंग होता है जिससे वाद-ववाद हो तो सभी सदस्य अंतर्मुख होकर सोचें कि आज जो भी अप्रिय प्रसंग घटित हुआ उसमें मेरा वर्तन आदर्श कैसे होना चाहिए था और मैंने क्या किया | अंतर्मुख होकर निरक्षण करनेके पश्चात् यदि आपसे चूक हुई हो ऐसा आपको ज्ञात होता है तो क्षमा मांगे इससे सामनेवाले व्यक्तिके मनमें जो कडवाहट होती है वह कुछ अंश तो अवश्य ही दूर हो जाएगी ! साथ ही ऐसे प्रसंग न हो इस हेतु दोष निर्मूलनकी प्रक्रिया सीखें !
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