उपासनाका गुरुकुल कैसे होगा ? (भाग – १२)


      उपासनाके गुरुकुलमें आरम्भिक कालसे ही बच्चोंको अग्निहोत्र, देव पूजन व  नित्य आरती, जनेऊधारीके लिए संध्या, पितृकर्म हेतु भिन्न प्रकारके श्राद्ध कर्म व तर्पण, सत्यनारायण पूजा, रुद्राभिषेक, षोडशोपचार पूजन जैसे पूजा विधियोंमें पारंगत किया जायेगा; इसलिए उपासना गुरुकुलसे विद्या प्राप्तिकर निकले विद्यार्थियोंको सामान्य पूजा-अर्चा हेतु किसी पुरोहितकी आवश्यकता नहीं होगी ! मात्र विशिष्ट यज्ञ या पूजा आनुष्ठान हेतु ही उन्हें पुरोहित वर्गकी अवश्यक्त होगी | इतना ही नहीं उन्हें ऐसे प्रशिक्षित किया जायेगा कि वे अपन आस-पासके हिन्दुओंको भी यह सब सिखा सकें इससे समाजमें आज जो कर्मकांड हेतु सात्त्विक पुरोहितोंकी कमी है वह भी पूर्ण होगी और समाज भी साधनानिष्ठ व धर्मनिष्ठ होगा !
     गुरुकुलके ऐसे सभी विद्यार्थियोंको कर्मकाण्ड अंतर्गत शास्त्र सिखाया जायेगा ! इस हेतु सनातन संस्थाके ग्रन्थ गुरुकुलके पाठ्यक्रमके अंग होंगे !
     आज अनेक लोग कर्मकांड करते हैं किन्तु उन्हें शास्त्र अनुसार सब सामग्री न मिलनेके कारण अडचनें आती है; इसलिए गुरुकुलमें कर्मकांड हेतु सर्व सामग्रियोंका उत्पादन कैसे करें वह सिखाया जायेगा ! इस हेतु गौशाला एवं गुरुकुलके उद्यानमें सभी वस्तुओंको कैसे प्राप्त करना है, इसकी विशेष रूपसे प्रशिक्षण दिया जाएगा |  इससे हमारे शास्त्रोंमें जो यज्ञ परंपरा थी वह पुनः घर-घरमें अधिष्ठित हो जाएगी ! इसमें एक दो पीढीका समय अवश्य जायेगा; किन्तु कालांतरमें सब लुप्त हुई वैदिक संस्कार जाग्रत हो जायेंगे !


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