प्रातः उठनेपर झाडू लगानेके पश्चातही बच्चोंको घरमें पांव रखने देना चाहिए !


 हमारी माताजी हमें कभी भी बासी घरमें प्रातः उठनेके पश्चात पांव नहीं रखने देती थीं ! वे सर्वप्रथम पूरे कक्षमें झाड़ू लगाती थीं तभी हम बिछावनसे नीचे उतर सकते थे ! मैंने कई बार अपनी माताजीसे इसका शास्त्र जानना चाहती थी किन्तु वे बहुत भोलेपनसे कहती थीं कि मेरी मां ऐसा करती थीं और कहती थीं कि बच्चोंके बासी घरमें पांव नहीं रखना चाहिए !
         किन्तु अब मुझे इसका शास्त्र समझमें आता है कि रातमें तमका आवरण भूमिपर आ जाता है और बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं इसलिए वे उस तमके आवरणसे प्रभावित न हो जाएं इसलिए हमारी माताएं हमसे पहले उठकर घर स्वच्छ कर देती थीं इसीलिए तो हम अपनी माताको मातृ देवो भव कहते हैं !
किन्तु आजकलकी माताओंको देखकर बहुत दुःख होता है वे अपना घर तबतक बासी रखती हैं जबतक सेविका(नौकरानी) घरपर आकर घर स्वच्छ न कर दें ! अब ऐसेमें यदि बच्चोंको कष्ट हो तो आश्चर्य कैसे ! धर्मशिक्षणके अभावके कारण आजकी स्त्रियोंमें गृहलक्ष्मीके गुणोंका द्रुत गतिसे क्षरण हो रहा है ! वे बिना नहाए बच्चोंको भोजन बनाकर खिलाती हैं, अनेक माताओंको देखा है की वे अपने बच्चोंको नियमित विद्यालय जानेसे पूर्व नहलाती तक नहीं हैं ! और  भोजन भी सात्त्विक नहीं होता, आने बार तो आलस्यके कारण ब्रेड खिला देती हैं, तमोगुणी पास्ता और नूडल्स खिलानेमें वे अपना बडप्पन समझती हैं !
 ध्यान रहे आप जितना तमोगुणी रहेंगी आपके बच्चोंको उतना ही अधिक कष्ट होगा या वे आपको किसी न किसी रूपमें वे भविष्यमें कष्ट देंगे | – (पू.) तनुजा ठाकुर


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