व्यक्तिकी प्रकृति अनुरूप ही होता है उसका प्रतिदिनका वर्तन
दिनभर सांसारिक कार्योंको करते समय नामजप करनेके प्रयास करना, माथेपर तिलक धारण करना, भारतीय परिधान धारण करना, स्वभाषाका प्रयोग करना, घरका बना भोजन ग्रहण करना, विशेषकर शाकाहारी भोजन करना, समय एवं अनुशासनका दिनभर पालन करना, साधना करना, दूसरोंके कल्याणके विषयमें सोचकर योग्य कृति करना, ये सत्त्व गुण प्रधान व्यक्तिके लक्षण हैं । इसके विपरीत सतत पैसे या सामाजिक प्रतिष्ठा कैसे बढे ?, इसका विचार करना, रजो गुणी व्यक्तिका लक्षण है और तमोगुणी व्यक्ति भ्रष्टाचार करता है और उसे बढावा देता है, समयका दुरुपयोग करता है, मांसाहार और ‘होटल’का बना भोजन रुचिपूर्वक ग्रहण करता है और पाश्चात्य संस्कृतिमें रंगे रहना उसे रुचिकर लगता है ।
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