कुछ दिवस पूर्व आश्रमके पासके ग्रामसे आई एक स्त्रीसे चर्चा हो रही थी । वे कह रही थीं कि वे तो भैंसका दूध ही लेती हैं और उसीसे रुद्राभिषेक भी करती हैं । मैंने कहा, “किन्तु भैंस एक तमोगुणी प्राणी है और असुर अपनी आसुरी शक्ति बढाने हेतु भैंसके दूधसे रुद्राभिषेक करते हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए । हमारे पिताजी हमसे बचपनसे ही कहते थे कि भैंसका दूध पीनेसे शरीर और मन दोनों ही भैंस जैसा स्थूल और तमोगुणी हो जाता है । वे हमें कभी भी भैंसका दूध नहीं पीने देते थे ! आज समाजको सात्त्विकता शब्द पता नहीं है; इसलिए आज तमोगुणी भैंसका पालन सर्वत्र बढ गया ! कुछ विवेकहीन हिन्दू लोगोंको भैंसका दूध पीनेके लाभ भी बताते हैं । मैंने देखा है कि जो लोग भैंसके दूधका अत्यधिक उपयोग करते हैं, उनके मन एवं बुद्धिपर सूक्ष्मसे काला आवरण निर्माण हो जाता है एवं उनका आध्यात्मिक स्तर यदि अच्छा हो तो भी वे साधना नहीं कर पाते हैं । यह तमसका प्रभाव होता है; इसीलिए सात्त्विक आहार लें !
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