आर्थिक संकटको दूर करनेके कुछ उपाय (भाग-१६)


उपासनाके आध्यत्मिक उपचार केन्द्र में जब कुछ ऐसे लोग आए जिन्हें आर्थिक कष्ट था तो मैंने पाया कि उनमेंसे सौ प्रतिशत सदस्योंका सूक्ष्म वलय काला था । उसके भिन्न कारण थे । इसलिए आज आपको इस महत्त्वपूर्ण तथ्यके विषयमें बताना चाहेंगे ।
    यदि हमारे शरीर, मन एवं बुद्धिपर सूक्ष्म काला आवरण होता है तो हमें भिन्न प्रकारके कष्ट सहज ही होने लगते हैं । उनमें आर्थिक कष्ट भी सम्मिलित है; इसलिए अपने वलयके (ऑराके) ऊपरके इस आवरणको हटानेका प्रयास अवश्य करना चाहिए । इस हेतु कुछ निम्नलिखित बातोंका ध्यान रखें :-
★ प्रातःकाल सूर्योदयसे पूर्व उठनेका प्रयास करें ! सूर्योदयके पश्चात उठनेवाले व्यक्तिके मन एवं बुद्धिपर जितनी देर वह सोता रहता है, उतना ही अधिक आवरण निर्मित होता है । इससे उसके भाग्यमें जो मिलनेवाला है, वह भी अवरुद्ध हो जाता है, ऐसा मैंने अपने सूक्ष्म शोधमें पाया है ।
★ किसी भी प्रकारके व्यसनसे बचें ! यहां व्यसनका अर्थ है, वह पदार्थ या वस्तु या आसक्ति जिससे आपको हानि पहुंचती है और जिसके बिना आप उद्विग्न हो जाते हैं, ऐसेमें वह चाय, कॉफी ही क्यों न हो ?
★ काले वस्त्र न पहनें ! इससे भी सूक्ष्म वलयमें अनिष्ट आवरण शीघ्रतासे आता है ।
★ रात्रि ग्यारहके पश्चात बिना विशिष्ट कारण या किसी विवशताके जागरण न कभी न करें, इससे लोग किसी न किसी वस्तुका व्यसन अवश्य ही करने लगता है, ऐसा मैंने पाया है ।
★ आपने एक बात कभी देखी है या नहीं ? किन्तु मैंने इसे सम्पूर्ण भारतमें देखा है । आज भी भारतका वैश्य वर्ग अधिकांशतः शाकाहारी है । व्यापारमें आय अनिश्चित होती है; इसलिए उसपर अनिष्ट शक्तिका आक्रमण भी सहज ही होता है; इसलिए यह वर्ग सात्त्विक रहने हेतु शाकाहारका अवलम्बन करता है । अर्थात मांसाहारी होनेपर हमारे वलयके काले होनेकी अत्यधिक आशंका होती है;  इसलिए यदि आपको आर्थिक कष्ट रहता हो तो मांसाहारी भोजनका परित्याग करें !
★ अपने माथेपर सम्पूर्ण दिवस टीका अवश्य लगाएं ! इससे दैवी शक्ति आपके आज्ञा चक्रसे प्रवेशकर, आपका अनिष्ट आक्रमणसे रक्षण करती है ।
★ जब भी सम्भव हो नैसर्गिक जलस्रोत जैसे सात्त्विक नदियोंमें, तडाग (तालबमें) या समुद्रमें स्नान करनेका प्रयास करें, इससे हमारे वलयपर जो भी सूक्ष्म काला आवरण आया हो, वह घट जाता है ।
★ किसी योग्य गुरुके संरक्षणमें साधना करें, इससे उनकी कृपा मिलनेके कारण आपके वलयपर आध्यात्मिक उपचार ही नहीं होता है, वरन उसकी तेजस्विता बढती ही जाती है ।


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