माता-पिताके कर्मोंका फल सन्तानोंको कुछ अंश तो भोगना ही पडता है
धर्मप्रसारके मध्य मैंने पाया है कि जिनके भी माता-पिता किसी हिन्दूद्रोही पन्थ, संस्था या संगठनसे हों या कोई राष्ट्रद्रोही संस्थामें क्रियाशील रहे हों, उन्हें तो कष्ट होता ही है, उनके बच्चोंको भी आध्यात्मिक कष्ट होता है । मेरे पास इसके अनेक उदाहरण हैं । वहीं सन्त या गुरुके मार्गदर्शनमें राष्ट्र व हिन्दू धर्म सम्बन्धित कार्य करनेवाले या साधना करनेवालोंके घर उच्च कोटिके साधक जीव जन्म लेते हैं ।
जैसे वामपन्थियों, कांग्रेसियोंके बच्चोंको सौ प्रतिशत अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता ही है । यदि ऐसे लोग साधना भी करते हैं तो उनके क्रियमाणसे किए जानेवाले पापोंको नष्ट करनेमें उनकी साधना नष्ट होती रहती है एवं उनकी आध्यात्मिक प्रगति नहीं होती है । वैसे ही भ्रष्टाचारियों, राष्ट्रद्रोहियोंकी सन्तानोंकी भी यही स्थिति है ।
इसलिए पालकों अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु अपने आनेवाले कलका सत्यानाश न करें !
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