अध्यात्मविदके चैतन्यसे जिज्ञासु और साधक स्वतः ही हो जाते हैं आकृष्ट !


जैसे पुष्पके सुगन्धसे भौंरे स्वतः ही आकृष्ट हो जाते हैं, उसी प्रकार अध्यात्मविदके चैतन्यसे उनके आध्यात्मिक स्तर अनुरूप, सम्पूर्ण ब्रह्माण्डके जिज्ञासु और साधक स्वतः ही आकृष्ट हो जाते हैं ! – तनुजा ठाकुर



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