‘करतारपुर कॉरिडोर’के पश्चात कश्मीरियोंने उठाई शारदा पीठ खोलनेकी मांग !!


नवम्बर ३०, २०१८

करतारपुर कॉरिडोरका बुधवार, २८ नवम्बरको पाकिस्तानमें शिलान्यास किया गया था । इसके खुलनेसे सिख समुदायके लोग अब पवित्र गुरुद्वारे ननकाना साहिबके दर्शन कर सकेंगे । अब कश्मीरी पण्डितोंका एक समूह ‘शारदा पीठ’को खोलनेकी मांग कर रहा है । यह एक महत्वपूर्ण मन्दिर है, जो ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’में आता है । केवल इतना ही नहीं मुख्यधाराके राजनीतिक दल जैसे कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टीने (पीडीपी) भी इसे लेकर अपनी आवाज उठाई है ।


अब पाकिस्तानके प्रधानमन्त्री इमरान खानको यह कहते हुए सुना गया है कि उनकी सरकार दूसरे प्रस्तावोंपर भी विचार कर सकती है, जिसमें कश्मीरके शारदा पीठकी यात्रा भी सम्मिलित है । यह एक प्राचीन शारदा मन्दिर है, जिसे सारदा और सरादा भी कहा जाता है । नीलम घाटीमें स्थित शारदा विश्वविद्यालयमें आज भी पुरातन मन्दिरके अवशेष मिलते हैं । यह स्थान मुजफ्फराबादसे १६० किलोमीटरकी दूरीपर ‘लाइन ऑफ कंट्रोल’के छोटेसे गांव शारदी या सारदीमें स्थित है । यहां नीलम नदी मधुमति और सरगुनकी धारामें मिलती है ।

‘द सेव शारदा कमेटी’, जो कश्मीरी पण्डितोंके तीर्थयात्रियोंको शारदा मन्दिर जानेकी आज्ञा देनेके अभियानको चला रहा है, उसका कहना है कि उसके सदस्य दोनों ओरके लोग हैं । उन्होंने केन्द्र सरकारको एक याचिका दी है और पाकिस्तानके प्रधानमन्त्रीको भी पत्र लिखा है । समितिके अध्यक्ष रविन्दर पण्डितने कहा, “अब मैंने सुना है कि उन्होंने (इमरान) इसके बारेमें बात की है । इससे हमें काफी आशा मिली है । २००७ से हमारे पास क्रॉस एलओसी आज्ञापत्र (परमिट) है, परन्तु यह केवल जम्मू और कश्मीरके नागरिकोंके अपने परिजनोंसे मिलनेके लिए है । हम एक संशोधन चाहते हैं । हम धार्मिक तीर्थयात्रा चाहते हैं, ताकि हम शारदा जा सकें ।”

पण्डितने शारदाको अपनी कुलदेवीके रूपमें उल्लिखित करते हुए उन्हें कश्मीरी पण्डितोंकी प्रमुख देवी बताया । उन्होंने कहा कि जहां मन्दिर जानेके तीन और चार पारम्परिक रास्ते हैं । रविंदरने कहा, “हम केवल यह कह रहे हैं कि हमें वर्तमान परमिट प्रणालीका उपयोग करने दिया जाए । हम मुजफ्फराबादसे होकर जाना चाहते हैं।” मन्दिरके अतिरिक्त वहां भारतकी सबसे पुराने विश्वविद्यालयके अवशेष हैं । एक समय जब हिन्दुत्व घट रहा था और बौद्ध धर्म बढ रहा था, तब आदि शंकराचार्यने विश्विद्यालयका भ्रमण किया और हिन्दुत्वका पुन: जागरण आरम्भ हुआ ।

 

“धर्मान्धोंद्वारा कश्मीरी पण्डितोंके नरसंहारके पश्चात पण्डितोंको वहांसे पलायन करना पडा, जिसके कारण मां शारदाका यह शक्तिपीठ भी उपेक्षित रहा; अतः केन्द्रसे अपेक्षा है कि वह आगे आए व मां शारदाके इस उपेक्षित पीठका जीर्णोद्धार कर सभी हिन्दुओंकी भावनाओंका मान करें ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : अमर उजाला

 



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