अग्निहोत्रसे सम्बन्धित शंका समाधान (भाग-४)


क्या स्त्रियां अग्निहोत्र कर सकती हैं ?

हां ! स्त्रियां भी अग्निहोत्र कर सकती हैं । मात्र रजोधर्मके समय पांच दिवस इसे नहीं करना चाहिए । जन्म पातकके समय भी जबतक जच्चा, रजस्वलामें हो तबतक इसे नहीं करना चाहिए, चाहे ग्यारह दिवसका पातक (सूतक) समाप्त ही क्यों न हो गया हो !
एक और बातका स्त्रियोंको ध्यान रखना चाहिए कि यदि घरमें साधनाका अत्यधिक विरोध होता है तो भी इसे न करें; क्योंकि यह प्रतिदिन किया जानेवाला नैमित्तिक कर्म है, इसे न करनेसे पाप नहीं लगता है; किन्तु घरमें कलह करके इसे कदापि न करें ! साथ ही यदि रजोनिवृत्त हो चुकी अर्थात ५० वर्षकी आयुके पश्चातवाली स्त्रियां करती हैं तो और भी उत्तम होगा; क्योंकि इससे उनका यह दैनिक वैदिक अनुष्ठान मासिक रजोधर्मके कारण खण्डित नहीं होगा; किन्तु परमाणु बमके विकिरणके दुष्प्रभावको निष्प्रभावी करने हेतु अग्निहोत्र करनेवाले स्त्रियोंका आध्यात्मिक स्तर न्यूनतम ६०% होना चाहिए । (पुरुषोंके लिए ऐसा करने हेतु न्यूनतम आध्यात्मिक स्तर ५०% है ।)
कोई कुंवारी कन्या भी इसे नियमित श्रद्धासे कर सकती है; किन्तु विवाह उपरान्त पति एवं ससुरालवालोंकी अनुमति हो तो ही करना चाहिए ! वैसे तो जो भी कुंवारी कन्या इसे नियमित एवं श्रद्धापूर्वक करेगी तो उनके तेजका वलय बढ जानेके कारण उसे सात्त्विक एवं उच्च आध्यात्मिक स्तरवाला पति एवं उच्च संस्कारवाला कुल मिलेगा । मात्र यदि कन्याका तीव्र प्रारब्ध हो तो ही ऐसा नहीं होनेकी आशंका है; इसलिए उपासनाका जो गुरुकुल आरम्भ होगा, उसमें गुरुकुलकी छात्राओंसे नियमित अग्निहोत्र कराया जाएगा ।
विद्यार्थी यदि अग्निहोत्र करते हैं तो उनमें दिव्य गुण शीघ्र आत्मसात होता है !



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