बिना क्षमताके अपने मनसे अनिष्ट शक्तिके कष्ट के निवारणार्थ उपाय घातक हो सकता है !


उपासना का आध्यात्मिक केंद्र आरंभ हो चुका है हमारे यहां जो व्यक्ति मार्गदर्शन हेतु आते हैं उनसे जो कुछ हमें ज्ञात होता है ,  वह हम  उस व्यक्तिका नाम पता सर्व गुप्त रख कर आपके समक्ष उनके प्रकरणको रखनेका प्रयास करेंगे जिससे आप भी अध्यात्मका सूक्ष्म पक्ष सीख सकें और आज जन सामान्य एवं साधकको  कष्ट क्यों होता है इसका भी अभ्यास हम कर पाएँ !
दिल्लीके ‘उपासना  आध्यात्मिक उपाय  एवं मार्गदर्शन केंद्र’ में एक व्यक्ति आए थे, उन्हें तीव्र अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट था | आध्यात्मिक क्षमता न होते हुए वे अल्प आयुसे ही अनिष्ट शक्तिसे पीडित साधकपर आध्यात्मिक उपाय (spiritual healing) करनी आरंभ कर दी थी और उनका सम्पूर्ण परिवार उन्हें इस कार्यमें सहयोग दे रहा था, परिवारके सदस्य अर्थात उनकी मांका कहना था कि वे  आध्यात्मिक उपायके समय कुछ घंटे प्रतिदिन ध्यान किया करते थे  | परंतु अब उनकी स्थिति अति दयनीय हो गयी है,  वे मानसिक रूपसे थोडे अस्थिर प्रकृतिके थे अतः अनिष्ट शक्तिने उनके मनपर पूर्ण नियंत्रण कर रखा है और अब वे पूर्णत: अस्थिर हो गए हैं | उनके घरमें तीव्र स्तरका पितृ दोष है और वे एक ऐसे हिन्दू संप्रदायसे हैं जो पितर इत्यादिमें विश्वास नहीं करते हैं | जब मैंने उनकी मांको कहा कि इन्हें तो अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट हैं; परंतु आपके घरमें तीव्र स्तरका पितृ दोष तो वे क्रोधित हो गईं , आश्चर्य यह है कि वे स्वयं कह रही थी कि उनकी मांके मृत्युके पश्चात उनके पुत्रका कष्ट बढ गया है; परंतु वे तब भी माननेको तैयार नहीं थीं कि उनके घरमें पितृ दोष है और पुत्र कह रहा है कि मैं अपने सभी मृत पूर्वजोंको स्वप्नमें देखता हूं ! उनके पुत्रका कहना था कि उनके संप्रदायमें पितृ दोष निवारणके योग्य उपाय नहीं हैं और मां कह रही थीं कि उन्हें अपने संप्रदायके आराध्यपर विश्वास नहीं है !

अपने मनसे किसीका आध्यात्मिक उपाय तब तक नहीं करना चाहिए जब तक हमारा आध्यात्मिक स्तर साठ प्रतिशतसे अधिक न हो जाये और यदि घरमें पितृ दोष हो तो व्यक्तिने अपने मनसे किसी का आध्यात्मिक उपाय नहीं करना चाहिए, इससे भविष्यमें उस व्यक्तिको स्वयं एवं घरके अन्य सदस्योंको कष्ट हो सकता है !

इस व्यक्तिने अपने मनसे लोगोंपर आध्यात्मिक उपाय आरंभ कर दिये; परंतु वह उपाय उनके ही घरके पूर्वज उनके माध्यमसे उनका अहं बढाने हेतु कर रहे थे उन्हें यह सब ज्ञात नहीं हुआ और जब पूर्वजोंको लगा कि उनका अहं बढ गया तो वे उन्हें अत्यधिक कष्ट देने लगे हैं और उनकी साधना भी अब पूर्ण रूपेण छूट चुकी है , साथ ही अन्य अनिष्ट शक्ति भी उन्हें कष्ट देने लगीं हैं ! यद्यपि मैंने उन्हें सर्व उपाय बताए हैं परंतु वे मानसिक रूप से इतने अस्थिर हो चुके हैं कि यदि घरके  सभी सदस्य उनकी सर्व उपाय करनेमें सहायता नहीं करेंगे तो वे अपनी सहायता स्वयं नहीं कर पाएंगे |

उपर्युक्त प्रकरणसे जो सीखने हेतु मिला वह इस प्रकार है –
१. अपने मनसे दूसरोंपर आध्यात्मिक उपाय ( spiritual healing) कभी न करें |
२. घरमें यदि सभी सदस्यको कष्ट हो तो आध्यात्मिक उपाय जब तक कोई संत न कहें न करें !
३. यदि आप मानसिक रूपसे कमजोर होंगे तो अनिष्ट शक्ति आपको शारीरिक नहीं अपितु मानसिक कष्ट देंगी |
४.पितृ दोष आपके पंथ या संप्रदाय मानते हो या नहीं वह सभी को हो सकता है अतः यदि अतृप्त पूर्वजों के कारण कारण कष्ट हो तो उसके निवारण हेतु  त्वरित योग्य उपाय करें ! -तनुजा ठाकुर



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