अन्नपूर्णेश्वरी स्तुति


नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्य रत्नाकरी
निर्धूताखिल घोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी ।
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ।।
अर्थ :
नित्य आनंद प्रदायिनी, वर और अभयदायिनी, सौन्दर्यकी प्रतिमूर्ति , सम्पूर्ण दुखोंको हरनेवाली , प्रत्यक्ष माहेश्वरी , हिमवंशको पवित्र करनेवाली काशीकी अधीश्वरी , कृपा और आश्रय प्रदान करनेवाली, हे मां अन्नपूर्णेश्वरी मुझे भिक्षा दें  ।



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