आपातकालमें देवताको ऐसे करें प्रसन्न ! (भाग-११)


      प्रसाद बनाते समय नामजप करनेका प्रयास किया करें ! इससे आजकल अन्न व शाकमें जो भी अशुद्ध तत्त्व होते हैं वे नष्ट हो जाते हैं एवं भोज्य प्रसाद देवताके तत्त्वसे भारित हो जाता है । यदि प्रसाद बनाते समय मनमें बहुत विचार आने लगे तो बोलकर नामजप करें ! आवश्यकता पडे तो सात्त्विक वाणीमें किया हुआ नामजप लगा लें इससे आपपर आध्यात्मिक उपचार भी होगा और साथ ही आपका नामजप भी होगा एवं वस्तुमें चैतन्य भी आएगा । नामजप आरम्भ करनेसे पूर्व आपको जैसे बताया था वैसे ही अन्नपूर्णा माताकी पूजा, उनसे एवं अग्निदेवसे प्रार्थना करें ! साथ ही प्रसाद बनाने उपयोगमें लानेवाले प्रत्येक वस्तु व उपकरणसे भी प्रार्थना करें एवं सेवा समाप्त होनेपर उन्हें कृतज्ञता व्यक्तकर, सब स्वच्छकर यथावत रखें !
    एक बात और बता दूं, अन्नपूर्णा माताकी पूजा एवं प्रसाद बनानेसे पूर्व अन्नपूर्णा कक्षकी स्वच्छता अवश्य करें ! बासी कक्षमें पूजा नहीं करनी चाहिए ! अतः गृहसेविका (कामवाली बाई) आएगी तो झाडू-पोछा करेगी ही, ऐसा सोचकर घरको बासी न रखें ! बासी घरमें न ही अग्नि प्रज्ज्वलित करना चाहिए और न ही पूजा करना चाहिए । क्या आपको समझमें आ रहा है कि आज हिन्दुओंसे चूकें कहां हो रही हैं ? क्यों हमारा घर अब मन्दिर समान पवित्र नहीं रहा ?


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