आपातकालमें देवताको ऐसे करें प्रसन्न (भाग-१३)


अनेक घरोंमें अतिथि जब आते हैं तो उन्हें चाय और नमकीन देते हैं । कई बार अतिथि उसे थोडा खाकर छोड देते हैं तो घरकी स्त्रियां उसे पुनः अन्नपूर्णा कक्षमें ले जाकर, वह डिब्बेमें डाल देती हैं । पूछनेपर कहती हैं कि यह सूखा था; इसलिए जूठा नहीं हुआ । वैसे तो वह जूठा ही हुआ; किन्तु यदि आप उसे जूठा नहीं भी मानते हैं तो भी जिस किसीने उस आहारको स्पर्श किया है, उसके स्पन्दन तो उसमें चले ही जाते हैं । यदि उस व्यक्तिको अनिष्ट  शक्तियोंका कष्ट हुआ तो वह भोजन भी नकारात्मक ऊर्जासे प्रभावित हो जाता है; इसलिए ऐसी चूक न करें !
        किसी अतिथिने उसे थोडा सा लेकर खाया हो तो उसे एक पृथक पात्रमें रखें ! अपने अन्नपूर्णा कक्षमें, जिसमें वह वस्तु रखी है, उसमें न मिलाएं  ! जैसे बूंद-बूंदसे घडा भरता है, यह आपने सुना ही है, वैसे ही ऐसी छोटी-छोटी बातोंसे हमारे अन्नपूर्णा कक्षमें रखे खाद्य पदार्थके स्पन्दनोंपर प्रभाव पडता है ।


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