आर्थिक संकटको दूर करने हेतु कुछ उपाय (भाग-१२)


हमारा पूजाघर, हमारे घरके वास्तुको नियन्त्रित करता है अर्थात यदि उसमें बहुत अधिक चैतन्य हो तो घरमें चैतन्य फैलता है और इससे घरकी नकारात्मकता दूर होती है एवं इष्ट व कल्याणकारी शक्तियां आकर्षित हो जाती हैं, जिससे घरके आर्थिक कष्ट भी न्यून हो जाते हैं । देवतासे अधिक शक्तिशाली इस ब्रह्माण्डमें और कौन हो सकता है ? और जिनपर देवकृपा हो जाए उनके लिए सब कुछ साध्य हो जाता है ।
इसलिए पूजाघरको स्वच्छ एवं पवित्र रखें, जिससे देवता उसमें वास कर सकें !
पूजाघरकी नियमित स्थूल और सूक्ष्म स्तरोंपर शुद्धि हेतु निम्नलिखित तथ्योंको ध्यानमें रखें !
पूजा घरकी स्थूल शुद्धि करें अर्थात वहां स्वच्छता एवं व्यवस्थितता रखें ! इस हेतु हमने धर्मप्रसारके मध्य लोगोंके घरोंमें जो पूजा घरमें चूकें होती देखी हैं, वे बताती हूं । आप भी निरीक्षण करें कि आपसे जाने-अनजाने ऐसी चूकें तो नहीं हो रही हैं ?
 अनेक लोग अपने बैठक कक्षकी प्रतिदिन स्वच्छता करते हैं;  क्योंकि उन्हें लगता है कि यदि कोई अतिथि अस्वच्छता देखेंगे तो क्या कहेंगे ?; किन्तु उसी प्रकार वे नियमित पूजाघरकी स्वच्छता नहीं करते हैं; क्योंकि ‘देवता भी उन्हें देख रहे हैं’, यह भाव उनमें नहीं होता है ।
 मैंने कुछ घरोंमें पूजा घरोंमें जाले देखें हैं । यदि आपके पूजाघरमें कुछ ही दिनोंमें जाले लगते हैं तो इसका अर्थ है कि आपके वास्तुमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट है; अतः ऐसे घरोंकी सूक्ष्म स्तरपर वास्तुकी शुद्धि अति आवश्यक होती है । इसे कैसे करना है ?, यह आपको धर्मधारा सत्संगमें अनेक बार बता ही चुके हैं ! पूजाघरमें लगनेवाले जालोंको तुरन्त हटाएं !
   पूजाघरमें प्रतिदिन झाडू-पोछा करें ! सम्भव हो तो उसे अपने सेवकसे न कराएं, स्वयं ही करें, इससे उस कृतिसे भाव निर्माण होनेमें सहायता मिलेगी । यदि पूजा घरकी भूमिको जलसे धो सकते हैं तो उसे कुछ दिवसों पश्चात धोया करें, इससे पूजाघरकी भूमिका पातालसे निर्माण होनेवाला काला आवरण नष्ट होता है । यदि मिट्टीका पूजा घर हो तो उसे प्रतिदिन देसी गायके गोबरसे लीपा करें, मिट्टीके पूजा घर बहुत ही सात्त्विक होते हैं । जो गांवमें रहते हैं और देसी गाय घरमें रखते हैं, उन्हें पूजा घरकी भूमि मिट्टीकी ही रखनी चाहिए, इससे उसमें सात्त्विकता निर्माण होनेमें सहायता मिलती है । गोबरसे लिपे हुए स्थानपर अनिष्ट शक्तियोंका आक्रमण नहीं हो पाता है, यह मैं इसलिए बता रही हूं कि हमारे लेखोंके अनेक पाठक गांवोंमें भी रहते हैं और उनके लिए यदि यह सम्भव है तो ऐसा करें और हिन्दू राष्ट्र आनेके पश्चात विश्वकी जनसंख्या, तीसरे विश्वयुद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, महामारी इत्यादिके कारण आधी हो जाएगी तो नगरोंके लोगोंके लिए भी ऐसा करना सम्भव होगा; इसलिए अभीसे यह जानकारी दे रही हूं ।
     यदि पूजा घरकी भूमि मिट्टीकी न हो और वह सीमेंट, टाइल्स या मार्बलसे बनी हो तो पोछा लगाते समय उसमें एक चम्मच देसी गायका गोमूत्र, चुटकी भर किसी यज्ञकी विभूति एवं थोडासा मोटा लवण (नमक) डालकर प्रतिदिन पोछा लगाएं ! इसे पूजा करते समय पातालसे आनेवाली अनिष्ट लहरियों नियन्त्रित रहती हैं और पूजा करते समय मन एकाग्र होनेमें एवं देवत्व निर्माण होनेमें सहायता मिलती है ।
२. पूजा घरमें सूर्यके प्रकाश तथा नैसर्गिक वायुका कुछ समय मिलना अति आवश्यक है, इससे भी उस स्थानकी शुद्धि होनेमें सहायता होती है । अतः प्रातः काल कुछ घण्टोंके लिए पूजाघरके वातायन (खिडकियां) एवं द्वार खोल दें ! अनेक लोग एक कोनेमें पूजाघर बना देते हैं और उसमें प्रकाश और नैसर्गिक वायुका आवागमन नहीं होता है, ऐसेमें पूजाघरका वास्तु कुछ काल उपरान्त दूषित हो जाता है ।
३. पूजा घर यदि ईशान कोणमें हो तो और अधिक उपयुक्त होता है, उसके ऊपर या नीचे प्रसाधनगृह नहीं होना चाहिए और न ही उसकी भित्ति (दीवार) किसी शौचालयसे जुडी होनी चाहिए, यह भी ध्यान रखें !
४. पूजा घरमें सन्त वाणीमें प्रवचन, भजन या संस्कृतके स्तोत्रका पठन किसी आधुनिक यन्त्रद्वारा चला सकते हैं, इससे उसकी सात्त्विकता बढ जाएगी और आपका पूजा करते समय भाव जाग्रत होगा ।
५. पूजाघरमें मृत पूर्वजोंके छायाचित्र कभी भी न रखें, इससे यदि पूर्वजको गति न मिली हो तो पूजाघरमें नकारात्मक स्पदन फैलते हैं ।


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