आर्थिक संकटको दूर करनेके कुछ उपाय (भाग-११)


यदि आपके घरमें स्थान हो तो देशी गाय पालें ! देशी गायके दैवी वलयके कारण घरमें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट न्यून हो जाता है । उसके मूत्रका छिडकाव अपने घरमें प्रातः व सन्ध्या समय करें; क्योंकि आज घरोंके भूमिको गोबरसे लीपना सरल नहीं है । उसे अपने घरकी जूठन, ‘प्याज’-लहसुन, सडे-गले पदार्थ खाने हेतु न दें ! गायकी देखभाल यदि स्वयं नहीं कर सकते हैं तो जिसे भी देखभाल हेतु रखते हैं, उसपर ध्यान दें कि वह उसकी अच्छेसे देखभाल कर रहा है या नहीं ! घरमें यदि आर्थिक सङ्कट बार-बार आता हो तो विदेशी गाय व भैंसको घरके परिसरमें न रखें, ये दोनों ही तमोगुणी पशु हैं, इससे घरके कष्ट और अधिक बढ सकते हैं । घरमें नियम बनाएं कि प्रथम रोटी गायको ही देनी है ।
      यदि आपके पास गाय रखने हेतु स्थान न हो तो आप नियमित किसी गोशालामें जाकर गायोंकी कुछ समय सेवा करें । यह मैं विशेष रूपसे क्यों बता रही हूं ?; क्योंकि कुछ लोग गोशाला जाते हैं, वहां १०० रुपयेका चारा क्रय करते हैं, उन्हें अपने हाथोंसे खिला देते हैं और चले आते हैं । कुछ नहीं करनेसे कुछ करना अच्छा है; किन्तु आपको आर्थिक सङ्कट आ रहा है, इसका अर्थ है कि आपके वलयमें अनिष्ट आवरण है; इसलिए गोसेवा करें अर्थात गोबर उठाएं, गोशाला स्वच्छ करें; गोबर और गोमूत्रसे, वलयका अनिष्ट आवरण घटता है और जैसे-जैसे आपका सूक्ष्म आवरण स्वच्छ होता जाएगा, लक्ष्मी स्वतः ही आपकी ओर आकृष्ट होगी; इसलिए हमारे यहां घर-घर गोपालन हुआ करता था और सभी गोवंशको अपने परिवारका अंश समझकर गोपालन करते थे और उन्हें प्रेम करते थे । कई बार यदि गाय गर्भवती नहीं होती है या वृद्ध हो जाती है तो लोग उसका विक्रय कर देते हैं या गोशालामें दानकर भूल जाते हैं । जिस गोमाताने आपको दूध देकर आपका पालन किया, उसकी उपयोगिता न्यून होनेपर उसका परित्याग करना, यह आपकी स्वार्थीवृत्तिको दर्शाता है । यदि किसी कारणवश आपने उसे गोशालामें दान दिया है तो जबतक वह जीवित रहती है, उसका पालन करें; यदि आर्थिक रूपसे नहीं कर सकते हैं तो कुछ समय वहां जाकर सेवा दें ! विप्र (वर्ण ब्राह्मण अर्थात जो सतत साधना व धर्मपालन करता हो), धेनु (गाय), सुर (देवता) एवं सन्त, इनके रक्षण हेतु भगवान भी अवतार लेते हैं, इससे ही इन चारोंकी महत्ता समझमें आती है; अतः इन चारोंकी अवकृपा आपके जीवनमें कष्टको निश्चित ही बढा देती है; इसलिए क्रियमाणसे ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए ।
        दूसरी बात है कि गोवंशके रहनेसे आप दूध, घी, कण्डे इत्यादिका उपयोग कर्मकाण्ड अन्तर्गत पूजा-पाठ, होम-हवन हेतु कर सकते हैं, इससे आपका वास्तु शुद्ध रहता है और सुख समृद्धि भी विद्यमान रहती है; इसलिए हिन्दू राष्ट्रमें पुनः घर-घर गाय होगी । प्रत्येक घर, विद्यालय, महाविद्यालय, चिकित्सालय एवं मन्दिरोंमें गोपालन होगा, इससे भारतमें पुनः दूधकी नदियां बहेंगी ! बाल्यकालसे ही बच्चोंको गोसेवाका महत्त्व मात्र समझाया ही नहीं जाएगा; अपितु उनसे करवाया भी जाएगा; इसलिए जब उसकी स्वयंकी गृहस्थी होगी तो गोमाता उनके जीवनका अविभाज्य अङ्ग होगी ।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution