आर्थिक संकटको दूर करनेके कुछ उपाय (भाग-९)


तुलसीकी प्रतिदिन पूजा करना और उसके पौधेमें जल अर्पित करना हमारी प्राचीन परम्परा है । मान्यता है कि जिस घरमें प्रतिदिन तुलसीकी पूजा होती है, वहां सुख-समृद्धि, सौभाग्य बने रहते हैं । तुलसीकी एक विशेषता है कि यदि उसका भावपूर्वक अनुरक्षण (रखरखाव) एवं नियमित पूजा हो तो वह घरकी नकारात्मकताको सोख लेती है एवं कई बार इस क्रममें वह स्वयं मुरझा जाती है; इसलिए इसे हिन्दू धर्ममें एक दैवी पौधा मानकर पूजा जाता है । धर्मप्रसारके मध्य मैंने पाया है कि जिनके घरमें अत्यधिक अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता है, उनके घरमें तुलसी या तो बार-बार मुरझा जाती है या पनपती ही नहीं है; किन्तु इसे भावसे लगानेसे एवं इसकी शास्त्र अनुसार सेवा करनेसे वह टिक जाती है । घरमें सुख-समृद्धि लाने हेतु इस पौधेका विशेष महत्त्व होनेके कारण आज आपको इस पौधेके विषयमें कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य बताने जा रहे हैं, कृपया इन्हें ध्यानसे पढकर, इनका पालन करें :
पौराणिक कालसे ही तुलसीके पौधेकी रही है अत्यधिक महत्ता
हिन्दू धर्मशास्त्रोंमें तुलसीके घरमें लगानेका धार्मिक महत्त्व होनेके कारण यह पौधा प्रायः प्रत्येक हिन्दू घरमें लगा होता है । वर्तमान कालमें यदि महानगर या नगरमें रहनेवाले हिन्दुओंको आंगनकी सुविधा न हो तो वे अपनी ‘बालकनी’में (छज्जेमें) इसे लगा लेते हैं  । मैंने तो विदेशमें कुछ धर्मनिष्ठ हिन्दुओंको इसे अपने घरमें लगाते हुए देखा है ।
       हमारे घरोंमें प्रातः और संध्याको तुलसीके पौधेकी अराधना की जाती है, साथ ही छोटे-बडे जितने भी धार्मिक आयोजन होते हैं, घरमें उस समय तुलसीके पौधेकी विशेष रूपसे पूजा की जाती है । इतना ही नहीं आयुर्वेदमें इस पौधेको अतुलनीय कहा गया है और अब तो आधुनिक विज्ञान भी तुलसीके वैशिष्ट्यको स्वीकार करने लगा है ।  वस्तुतः इन सब तथ्योंका पालन मूलतः हमारे सर्वांगीण विकासको ध्यानमें रखकर ही किया जाता है । जिस घरमें साधक वृत्तिके लोग रहते हैं, वहां तो यह पौधा बहुत ही भव्य रूपमें आपको दिखाई देता है, ऐसा मैंने पाया है । पवित्र पौधा होनेके कारण इसे मासिकचक्र, जन्म सूतक व मृत्यु पातकके कालमें इसे स्पर्शतक नहीं किया जाता है । ग्रहणकालमें जो भी दूध, दही, मिष्टान्न जैसे पदार्थ बच जाते हैं, उसमें तुलसीदल डाल देनेपर वह सेवन योग्य रहता है, ऐसा शास्त्र वचन है; इससे ही इस पौधेका महत्त्व ज्ञात होता है ।
तुलसीके पौधेका धार्मिक महत्त्व 
    तुलसीके पौधेका महत्त्व हिन्दू धर्मके अनेक ग्रन्थों और पुराणोंमें बताया गया है । तुलसीके पौधेकी अनेक विशेषताएं पद्मपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण, स्कन्द पुराण, भविष्य पुराण और गरुड पुराणमें बताई गई हैं । मान्यताओंके अनुसार तुलसीदलके बिना भगवान विष्‍णु और श्रीकृष्‍णकी कोई भी पूजा तथा भगवान विष्णुका भोग अधूरा माना जाता है । इसका कारण यह बताया जाता है कि तुलसी भगवान विष्णुके तत्त्वको आकृष्टकर उनकी पूजाके चैतन्यको बढाती है । इसके अतिरिक्त तुलसीका पत्र (पत्ता) भोगमें हनुमानजीको भी लगाया जाता है; क्योंकि वे भी विष्णुस्वरूप प्रभु श्रीरामके भक्त हैं ।
● पुराणोंमें बताया गया है कि तुलसीका पौधा घरके आङ्गनमें लगानेसे और देखभाल करनेसे मनुष्यके पूर्वके जन्मके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । घरका कलह और अशान्ति दूर हो जाती है, घर-परिवारपर मां लक्ष्मीजीकी विशेष कृपा बनी रहती है ।
● तुलसीके पत्ते और गङ्गाजलको कभी भी पूजामें बासी नहीं माना गया है ।
● तुलसीके पत्तेको जलमें डालकर स्नान करना तीर्थोंमें स्नानकर पवित्र होने जैसा है, इससे व्यक्तिकी सूक्ष्म देह अर्थात मन एवं बुद्धिके ऊपर छाया काला आवरण दूर होता है एवं इससे उसके व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक प्रगतिके द्वार खुलते हैं ।
●  कार्तिक माहमें तुलसीजी और शालीग्रामका विवाह किया जाता है । कार्तिक माहमें तुलसीकी पूजा करनेसे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं; इसलिए धर्मनिष्ठ हिन्दुओंके घरमें तुलसी विवाहका पर्व बहुत भावके साथ मनाया जाता है ।
    शास्त्रोंमें कहा गया है कि तुलसी पूजन और उसके पत्तोंको तोडनेके लिए नियमोंका पालन करना अति आवश्यक है ।
तुलसी पूजनके नियम
● प्रातः स्नान इत्यादि करनेके पश्चात तुलसीके पौधेमें जल दें और एवं उसकी परिक्रमा करें !
● सांय कालमें तुलसीके पौधेके नीचे देशी गायके घीका दीपक जलाएं, इससे घरके भीतर रात्रिकालमें, अनिष्ट शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती हैं । रविवारके दिन तुलसीके पौधेमें दीपक नहीं जलाना चाहिए और इस दिवस तुलसीको तोडना भी नहीं चाहिए ।
● भगवान गणेश, मां दुर्गा और भगवान शिवको तुलसी न चढाएं !
● आप कभी भी तुलसीका पौधा लगा सकते हैं; परन्तु कार्तिक माहमें तुलसी लगाना सबसे उत्तम होता है ।
● तुलसी ऐसे स्थानपर लगाएं, जहां स्वच्छता हो एवं आते-जाते समय हम उसे स्पर्श न करें !
तुलसीके पौधेको कांटेवाले पौधोंके साथ न रखें !
● शमीके साथ तुलसीके पौधेको लगानेसे एवं नियमित दोनोंकी पूजा करनेसे घरमें धन लाभ होता है ।
तुलसीकी पत्तियां तोडनेके भी कुछ विशेष नियम हैं
तुलसीकी पत्तियोंको सदैव सवेरेके समय तोडना चाहिए । यदि आपको तुलसीका उपयोग करना है तो प्रातःकालके समय ही पत्ते तोडकर रख लें; क्योंकि तुलसीके पत्ते कभी बासी नहीं होते हैं ।
● बिना आवश्यकताके तुलसीकी पत्तियां नहीं तोडनी चाहिए, यह उसका अपमान होता है ।
● तुलसीकी पत्तियां तोडते समय स्वच्छताका पूरा ध्यान रखें !
● तुलसीके पौधेको कभी अस्वच्छ हाथोंसे स्पर्श न करें !
तुलसीकी पत्तियां तोडनेसे पहले उसे प्रणाम करना चाहिए और इस मन्त्रका उच्चारण करना चाहिए –
महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी । 
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।।
.● रविवार, चन्द्रग्रहण, पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी व द्वादशीके दिन तुलसीको नहीं तोडना चाहिए ।
तुलसीके पौधेका आधुनिक विज्ञानके अनुसार निम्नलिखित वैज्ञानिक महत्व है :
नियमित रूपसे तुलसीके पौधेके पत्ते खानेसे ऊर्जाका प्रवाह शरीरमें नियन्त्रित रहता है और साथ ही मनुष्यकी आयु भी बढती है । ‘एंटीबैक्टीरियल’, ‘एंटीफंगल’ और ‘एंटीबायोटिक’ गुण तुलसीके पौधेमें पाए जाते हैं । ये गुण शरीरको सङ्क्रमणसे लडनेकी शक्ति प्रदान करते हैं । घरका वातावरण भी तुलसीके पौधेके होनेसे शुद्ध रहता है । तुलसी सङ्क्रामक रोगोंको दूर करनेमें सहायता करती है । वर्तमान कोरोना कालमें इस पौधेका विशेष महत्त्व है ।
तुलसी और वास्तु शास्‍त्र
जिन घरोंमें तुलसीका पौधा होता है, उस घरमें वास्तुकी शुद्धि होती रहती है । घरके उत्तर और पूर्व कोनेमें तुलसीके पौधेको लगाना शुभ माना गया है; किन्तु स्थान अभावमें इसे किसी भी दिशामें लगाया जा सकता है ।  मान्यता है कि दांतोंसे तुलसीके पत्तोंको चबाना नहीं चाहिए; अपितु एक बारमें ही इसे निगल लें ! इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि तुलसीके पत्तोंमें ‘पारा’ पाया जाता है, जिसे चबानेसे दांतोंको हानि होती है ।


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