आर्य चाणक्यके सर्व राजकीय एवं आर्थिक सिद्धांत धर्म अधिष्ठित थे । कलियुगी राजनीतिक चाणक्योंके सिद्धांत येन-केन-प्रकारेण मात्र सत्ता प्राप्त करनेतक सीमित रहता है । उनके लिए तत्त्व, सिद्धांत व आदर्शोंका कोई महत्त्व नहीं होता है ! ऐसे तथाकथित चाणक्योंको बता दें कि अधर्म आधारित राजनीति अधिक समयतक नहीं चलती है ! और आजके कुछ मूढ जो ऐसे सत्तालोलुप राजनेताओंको चाणक्यकी उपाधि देते हैं, उन्हें भी बता दें कि चाणक्यकी तुलना आदर्शहीन तत्त्वोंपर सत्ता प्राप्त करनेवाले राजनेतासे करके आचार्य चाणक्य जैसे मनीषीका अनादर न करें !
Leave a Reply