यदि अपने बच्चेको नृत्य सिखाना ही है तो भारतीय शास्त्रीय नृत्य सिखाएं !


धर्मप्रसारके मध्य मैंने पाया कि एक बच्चेके पालक, उसे आजकी आधुनिक नृत्य शैलीमें नृत्य सिखाने हेतु प्रयासरत थे । वह बच्चा उच्च स्तरका साधक है; इसलिए वह उस शैलीको त्वरित सीख गया; किन्तु आजके आधुनिक शैलीके नृत्यमें सात्त्विकता न होनेके कारण उस बच्चेको कष्ट होने लगा और उसकी ऊंचाई आयु अनुसार बढनी अवरुद्ध हो गई ।
यदि आपको अपने बच्चेको नृत्य सिखाना ही है तो उसे कृपया भारतीय शास्त्रीय नृत्य सिखाएं, इससे उस बच्चेकी साधना भी होगी एवं उसका अनिष्ट शक्तियोंसे रक्षण भी होगा ।
वैसे यदि बच्चे बहुत अच्छे साधक हों या दैवी बालक हों तो उसे किसी एक विधामें बाल्यकालसे प्रवृत्त नहीं करना चाहिए; क्योंकि इससे उसकी साधनाकी शक्ति उसमें व्यय होने लगती है । इसकी अपेक्षा यदि उसे साधनाकी ओर प्रवृत्त करें तो उसकी शीघ्र आध्यात्मिक प्रगति भी होती है और साथ ही वह भविष्यमें अनेक क्षेत्रोंका विशेषज्ञ बन सकता है ।



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