आपके लेखोंको मैं नियमित पढती हूं और मुझे उससे ही नामजपके विषयमें जानकारी मिली है, मेरी पुत्री दस वर्षकी है, मैं यह जानना चाहती हूं की मैं अपनी पुत्रीको कौनसा नामजप करनेके लिए कहूं और उसमें नामजपका संस्कार कैसे अंकित करूं, उसे पढनेसे पूर्व कौनसा नामजप करना चाहिए ? – सोनाली भारम्बे, मुम्बई, महाराष्ट्र     


chanting3

जानकर आनन्द हुआ कि आप अपनी पुत्रीपर नामजपका संस्कार अल्प आयुमें ही अंकित करना चाहती हैं, यथार्थमें बालमनपर जितना शीघ्र नामजपका संस्कार अंकित कर दिया जाए, उतना ही अच्छा होता है । बच्चोंको कौनसा नामजप करवाना चाहिए ?, इस सम्बन्धमें अध्यात्मशास्त्र क्या कहता है, यह जान लें !

  • सर्वश्रेष्ठ तो यह होगा कि यदि आपको अपने कुलदेवताका नाम ज्ञात हो तो उसे वही नामजप करनेके लिए कहें । यदि कुलदेवताका नाम ज्ञात न हो तो उसे ‘श्री कुलदेवतायै नमः’ जप करनेके लिए कहें । यदि आप किसी सम्प्रदायसे सम्बन्ध रखते हैं तो भी प्रयास करें कि जबतक उसे सम्प्रदाय अनुसार गुरुमन्त्र न मिला हो, तबतक उसे अपने कुलदेवताका नामजप ही करने दें ! यदि आपको यह स्वीकार्य नहीं तो अपने सम्प्रदाय अनुसार अपने आराध्यका नामजप बच्चोंको करनेके लिए कह सकते हैं ।
  • यदि घरमें पितृदोष हो तो अपनी पुत्रीको प्रतिदिन आधे घण्टेके लिए ‘श्रीगुरुदेव दत्त’ जप करनेके लिए कहें । वर्तमान कालमें सभी घरोंमें पितृदोष है; अतः आरम्भसे ही यदि बच्चोंको थोडे समयके लिए दत्तात्रेय देवताके नामजपका संस्कार डाल देंगे तो उसे भविष्यमें पितृदोषके कारण कष्ट नहीं सहन करना पडेगा । कष्ट एवं आयु अनुरूप दत्तात्रेयका जप तीन घण्टेतक भी करनेके लिए कह सकते हैं ।
  • वर्तमान कालमें अनेक बच्चोंको भिन्न प्रकारके आध्यात्मिक कष्ट होते हैं जैसे – भोजन न करना, डर लगना, हठ करना, बार-बार कोई न कोई कारणसे अस्वस्थ हो जाना, पढाईमें एकाग्रता न होना, परीक्षाके समय घबडाहट होना, विषय ज्ञात होते हुई भी परीक्षामें उसे न लिख पाना, क्रोध करना, चार वर्षसे अधिक आयु होनेपर भी रात्रिमें बिछावनमें मूत्र-त्याग कर देना, असाध्य रोग होना, वंशानुगत रोग अल्पायुमें होना, इत्यादि । यदि आपकी पुत्रीमें इस प्रकारके कोई कष्ट हैं तो उसे एक वर्षतक ‘श्री गुरुदेव दत्त ॐ नमः शिवाय’, यह जप करनेके लिए कहें, इसे दो मन्त्र न मानकर एक ही मन्त्र मानें और इसे, उसे प्रतिदिन एक पृष्ठ अपनी अभ्यासपुस्तिकामें लिखवाएं एवं बैठकर पन्द्रह मिनिट करनेके लिए कहें ! यदि वह यह दोनों ही प्रयास नहीं कर पाती हो तो समझ लें कि आध्यात्मिक कष्टकी तीव्रता अधिक है; अतः उसके सो जानेपर प्रतिदिन प्रातः एवं रात्रिके समय पन्द्रह मिनिट उसे सिरपर हाथ रखकर जप तबतक जप करते रहें, जबतक वह स्वयं यह जप प्रतिदिन आरम्भ नहीं कर देती है । जब आप उसे विद्यालय जाने हेतु उसे सज्ज (तैयार) करते हैं, तब भी यदि आप उसे यह जप अपने साथ-साथ बोलकर करनेके लिए कहें तो भी उसके मनमें यह संस्कार निर्माण होगा एवं उसे नियमित जप आरम्भ करनेमें सहायता होगी । साथ ही यदि आध्यात्मिक कष्टका प्रमाण अधिक हो तो प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार उसकी दृष्टि उतारें ! दृष्टि कैसे उतारनी है ?, इस हेतु इस लिंकपर जाकर सारी प्रक्रिया देखें ! ….. https://www.youtube.com/watch?v=t8lgQGOftWc  
  • नामजपका संस्कार मनमें अंकित करने हेतु बच्चोंको नामजपका महत्त्व एवं उससे होनेवाले लाभ उनकी भाषामें समझाएं, ऐसे सन्तों एवं भक्तोंकी कथाएं, उन्हें सुनाएं, जिन्होंने नामजप कर परम पदको पाया है ।
  • अपनी पुत्रीको एक गोमुखी और माला क्रय कर दें, आप भी प्रतिदिन माला लेकर, उसके समक्ष बैठकर कुछ देर जप करें ! बच्चे अनुकरणप्रिय होते हैं आपको जप करते देख, वह भी जप करनेका प्रयास करेगी !
  • घरमें नामजपकी ध्वनिचक्रिका चलाएं ! (यह हमारे पास उपलब्ध है)
  • उसे यदि आपके घरकी पास किसी सन्तद्वारा या आध्यात्मिक संस्थाद्वारा बालसंस्कारवर्ग चलाया जाता हो तो उसमें, उसे प्रत्येक सप्ताह भेजें ! इसे नामजप हेतु पोषक वातावरण एवं आवश्यक शक्ति उसे प्राप्त होगी ।
  • स्नानके पश्चात, भोजन, शयन एवं रात्रिमें सोनेसे पूर्व उसे ‘कमसे कम’ ग्यारह बार नामजप करनेके लिए अवश्य कहें !
  • उसके कक्षमें नामजपकी पट्टी लगाएं, नामजपकी सात्विक पट्टी भी हमारे पास उपलब्ध है, यदि वह आप नहीं मंगवा सकती है तो संगणक (कम्प्यूटर) से उसका ‘प्रिंट’ निकालकर या हाथसे सुन्दर अक्षरमें लिखकर लगाएं !
  • नामजप कभी भी किया जा सकता है यह बात उसके मनमें अंकित करें !                         

उपर्युक्त प्रयासोंसे आपकी पुत्रीके मनपर योग्य नामजपके संस्कार अवश्य अंकित होंगे । – तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution