सिंथेटिक अर्थात कृत्रिम धागेसे बने पाश्चात्य संस्कृतिके वस्त्र साधना हेतु पोषक नहीं होते और नैसर्गिक धागोंसे बने भारतीय परिधान वस्त्र (जैसे स्त्रीयोंके लिए साड़ी और पुरुषोंके धोती-कुर्ता), देवताके तत्त्वको आकृष्ट करनेकी क्षमता रखते हैं, अनिष्ट शक्तिसे हमारा रक्षण करते हैं और इससे साधकके ऊपर संरक्षक-कवच बनता है |-तनुजा ठाकुर
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