भारत हिन्दू विश्वविद्यालयमें हिन्दू धर्मके परम्परागत सभी विषयोंपर छात्रोंको किया जाएगा सम्पन्न


१६ जनवरी, २०२१
       काशीके हिन्दू विश्वविद्यालयमें पुनः छात्रोंको सभी प्राचीन विद्याएं पढाई जाएंगी । इन प्राचीन विद्याओंमें वेद, पुराण, सभी ग्रन्थ, शास्त्र तथा हिन्दू धर्म आधारित अन्य सभी पाठ्यक्रम सम्मिलित होंगे । प्राध्यापक विजय बहादुर सिंहकी अध्यक्षतामें स्थानीय तथा देश-विदेशके आचार्योंने सम्मिलित होकर इसका पाठ्यक्रम बनाया है, जिसे कला संकायने ‘बोर्ड ऑफ अट्डीज’की बैठकमें सर्वसम्मतिसे पारित कर दिया गया है । इसी वर्ष २०२१ के मध्यसे ही इसके अध्ययन आरम्भ किए जाएंगे और प्रत्येक पाठ्यक्रम दो वर्ष पर्यन्त चलेगा । इसके उपरान्त स्नातककी उपाधि दी जाएगी ।
      ‘बोर्ड’ने स्पष्ट किया कि जिस प्रकार भारतमें बुद्धिष्ट अध्ययन है, जैन तथा इस्लामके लिए अध्ययन है; किन्तु हिन्दूधर्मके अध्ययनोंके लिए कोई केन्द्र नहीं है । बुद्धिजीवी इसके लिए मनमाने ढंगसे व्याख्या करते रहते हैं । उनमेंसे अधिकतर इतिहासकारोंको संस्कृतका तो तनिक भी ज्ञान भी नहीं है । वे हिन्दू धर्मग्रन्थोंकी व्याख्या विकृत रूपसे करके सभीको दिशाभ्रमित करते रहते हैं । उन देशद्रोही वामपन्थी विचारकोंका उद्देश्य मात्र यही है कि हिन्दू संस्कृतिको नष्टकर, लोगोंको भ्रष्ट किया जाए ।
     ‘प्रोफेसर’ राकेश उपाध्यायने रोमिला थापर, हरबंस मुखिया इत्यादि तथाकथित इतिहासकारोंकी ओर सङ्केत करते हुए कहा कि उन्हें प्राचीन परम्पराओंका कुछ भी ज्ञान नहीं है; जैसे ऋग्वेदमें गोहत्याको लेकर कोई उल्लेख नहीं है; किन्तु वे इसीके बारेमें अनुचित लिखकर लोगोंको भ्रमित करते हुए, परम्पराओंको कलङकित करते रहते हैं ।
    ‘प्रोफेसर’ने बताया कि इस अध्ययनका अर्थ किसीसे वादविवाद करना नहीं है; अपितु हिन्दूधर्मके प्राचीन शास्त्रोंसे अपनी विशिष्टताको उभारना है, जिससे आगामी पीढीको इन विवादित तथाकथित इतिहासकारोंद्वारा लिखित धर्म विरोधी कथनोंके कारण हीनभावना सहन नहीं करनी पडे । इस दिशामें सभी विद्वानोंका यही मत है ।
        इस विश्वविद्यालयने स्नातकोंके अध्ययनके लिए जो विशेष निर्णय लिया है, अति उत्तम और प्रशंसनीय निर्णय है, जिससे सभी प्राचीन शास्त्र सम्मत  परम्पराएं पुनः उजागर हो पाएंगी । इससे यह भी सभीको ज्ञान हो जाएगा कि सभी धर्मोंकी जननी सनातन संस्कृति ही है । देशके दिग्गज प्रमुखोंको भी इसे प्रोत्साहित करनेके लिए आगे आना चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ

 

स्रोत : ऑप इंडिया



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