प्रेरक प्रसंग

प्रेरक प्रसंग – अपना सत्य


एक व्यक्ति प्रायः किसी सरोवरके(तालाबके) तटपर भ्रमण हेतु (घूमने) जाया करता था । पानीमें उसका प्रतिबिंब दिखता था । उस सरोवरमें मछलियां थीं । एक मछलीने पानीमें दृष्टिगत हो रहे उस व्यक्तिके प्रतिबिंब(परछाई) को देखा । उसे दिखाई दिया कि उसका सिर नीचे है और पैर ऊपर । मछलीने एक दिन देखा, दो दिन देखा, […]

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सेवाका महत्त्व


पांडवोंका वनवास काल समाप्त हो गया था । दुर्योधनने युद्धके बिना उन्हें पांच गांव भी देना स्वीकार नहीं किया । युद्ध अनिवार्य समझ दोनों पक्षोंने अपने-अपने दूत भेजे । मद्रराज शल्य यह समाचार सुन अपने महारथी पुत्रोंके साथ एक अक्षोहिणी सेना लेकर पांडवों के पास चले । शल्य नकुल व सहदेवके मामा थे । पांडवोंको […]

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राजाका मौन


एक राजाके मनमें एक अत्यन्त ही आकर्षक और भव्य राजप्रासादके (महलके) निर्माणका विचार आया । उसने अपने मंत्रियोंसे विचार-विमर्श किया, सभासदों व परिजनोंसे भी मत मांगा । सभीने उसके विचारसे सहमति जताई । राजाने उत्साहित होकर योग्यतम शिल्पकारोंको (कारीगरोंको) बुलवाया और उन्हें प्रासादके निर्माणका दायित्व दिया । कुछ ही समयमें राजाकी कल्पनाने साकार रूप ले […]

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जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि


यह सुप्रसिद्ध प्रसंग भक्त एवं भक्तिके दृष्टिकोणके सम्बन्धमें है । संत समर्थ रामदास रामायण लिखते जाते और शिष्योंको सुनाते जाते थे | हनुमानजी भी उसे गुप्त रुपसे सुननेके लिये आकर बैठते थे | इसी क्रममें समर्थरामदासने लिखा, “हनुमान अशोक वनमें गए, वहां उन्होंनें श्वेत पुष्प देखे |” इतना सुनते ही हनुमानजी तत्क्षण प्रकट हो गए […]

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तनावसे मुक्ति


प्राचीन कालमें एक विशाल राज्यका राजा सदैव चिन्तित एवं तनावग्रस्त रहता था । कभी वह समीपस्थ (पडोसी) राज्योंके आक्रमणकी आशंकासे भयभीत रहता, तो कभी अपने स्वजनोंद्वारा षड्यंत्र रचे जानेके अंदेशेसे तनावग्रस्त रहता । इसी आशंकाके कारण उसे न निद्रा आती और न ही भूख लगती थी । जब वह अपने राजकीय उद्यानके उद्यान-पालकको (मालीको) देखता […]

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मोक्ष-प्राप्ति


एक व्यापारी था । वह धार्मिक क्रिया-कलापोंमें दिनका अधिकांश समय व्यतीत करता था । वह प्रतिदिन स्नान करके मन्दिर जाता, वहां विधि-विधानसे देवता पूजन करता । तदुपरान्त ही अपनी आपणि (दुकान) जाता । संध्याको पुनः दो घण्टे मन्दिरमें बैठकर पूजा-अनुष्ठान करता । वह प्रतिदिन एक ही प्रार्थना करता, ‘हे भगवान ! मुझे मोक्ष प्रदान करें […]

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माननीय गोपाल कृष्ण गोखले


पूतके पांव पालनेमें ही दिखने लगते हैं ! अनेक महापुरुषोंके दिव्य लक्षण बचपनसे ही दिखने लगते हैं | यह उनके पूर्व जन्मके संस्कारोंके कारण होता है | इसी संबंध में प्रस्तुत है एक प्रेरक प्रसंग : महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिलेके काटलुक गांवमें एक माध्यमिक विद्यालय था | कक्षा चल रही थी | अध्यापक महोदयने उपस्थित […]

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सत्संगका महत्त्व


  एक बार अवंतिपुरमें साधु कोटिकर्ण आए । उन दिनों उनके नामकी धूम थी । उनका सत्संग पाने दूर-दूरसे लोग आते थे । उस नगरमें रहनेवाली कलावती भी सत्संगमें जाती थी । कलावतीके पास अपार संपत्ति थी । उसके रात्रि सत्संगकी बात जब नगरके चोरोंको ज्ञात  हुई तो उन्होंने उसके घर सेंध लगानेकी योजना बनाई । […]

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प्रेरक प्रसंग – पूरा लड्डू


एक समय एक पिता और  पुत्र भोजन करने बैठे । पिताकी थालीमें मांने एक पूरा लड्डू  रखा और बच्चेकी थालीमें आधा । बच्चा रूदन करने लगा, हठ करने लगा कि मुझे भी पूरा  लड्डू चाहिए । मां कुशल थी । उसने उसी आधे लड्डूसे एक छोटासा गोल लड्डू बनाया और  बच्चेको परोस दिया । बच्चा प्रसन्न […]

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द्रोणाचार्यका पाठ – “क्रोधको जीतो”


उन दिनों पाण्डव द्रोणाचार्यसे शिक्षा ले रहे थे । एक दिन उनका पाठ था, ‘क्रोधको जीतो’ ।  पाठ पढानेके पश्चात द्रोणाचार्यने अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव और युधिष्ठिर सभीसे पूछा, “पाठ स्मरण हो गया क्या ?” युधिष्ठिरको छोड सभीने उत्तर दिया, “स्मरण हो गया”; परंतु युधिष्ठिरने कहा, “स्मरण नहीं हुआ” । द्रोणाचार्यने विस्मयके साथ पूछा, “क्या […]

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