किसी समय कन्नौजमें अजामिल नामका एक तरुण ब्राह्मण रहता था । वह शास्त्रोंका विद्वान था, शीलवान था, कोमल स्वभावका, उदार, सत्यवादी, संयमी तथा संस्कारी था । गुरुजनोंका सेवक था, समस्त प्राणियोंका हितैषी था, मितभाषी था एवं किसीसे भी द्वेष या घृणा नहीं करता था । वह धर्मात्मा ब्राह्मण युवक पिताकी आज्ञासे एक दिन वनमें फल, […]
एक शिष्यने अपने गुरुदेवसे पूछा, “गुरुदेव, सुखकी प्राप्ति कैसे होगी ?” गुरुदेवने कहा, “त्याग करनेसे ही सुखकी प्राप्ति होती है ?” शिष्य नहीं माना, वो बोला, “गुरुदेव, मैं नहीं मानता, त्याग करनेसे सुख संभव नहीं, सुख तो हमें धनसे ही मिलता है ।” गुरुदेवने बहुत समझाया; परन्तु शिष्य नहीं माना । एक दिन गुरु और […]
अनेक व्यक्तियोंको लगता है कि श्राद्ध हेतु ब्राह्मणको ही भोजन क्यों करवाना चाहिए ? ब्राह्मणका अर्थ है या तो वह जो ब्रह्मज्ञानी हो या वह जो पूर्ण निष्ठासे ईश्वरीय साक्षात्कार हेतु प्रत्यनशील हो । ऐसे ब्राह्मणोंमें संकल्प शक्ति होती है जिससे समाजका हित सहज ही हो जाता है । जो भगवानका भक्त हो, जिसने मनको […]
प्रायः देखा गया है कि सुसंस्कारों अथवा कुसंस्कारोंके निर्माणमें वातावरण सबसे अधिक सहायक होता है । मनुष्य जैसे संसर्गमें रहेगा, प्रायः उसीके अनुरूप उसके संस्कारोंका, चरित्रका निर्माण होगा । वातावरण या संगतिसे व्यक्ति के संस्कार प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते । इस सम्बन्धमें एक छोटीसी कथा है कि एक हाटमें एक बहेलिया दो तोते […]
महाभारतमें एक समय जब महाराज धृतराष्ट्र बहुत व्याकुल थे और उन्हें नींद नहीं आ रही थी, तब उन्होंने महामंत्री विदुरको बुलवाया । कुछ समय पश्चात् महात्मा विदुर प्रासादमें (महलमें) महाराजके सामने पहुंच गए । महाराज धृतराष्ट्रने महात्मा विदुरसे कहा “जबसे संजय पांडवोंके यहांसे लौटकर आया है, तबसे मेरा मन बहुत अशांत है । संजय कल […]
दक्षिणमें विशाखापट्टनमके पास एक जिला है विजना । यहींके एक जमींदार नृसिंहधरके घर प्रथम पत्नीके अत्यधिक मनौतियोंके पश्चात् ख्रिस्ताब्द १६०७की पौष शुक्ल एकादशीको रोहिणी नक्षत्रमें एक पुत्र हुआ । नाम रखा गया तैलंगधर स्वामी । अंतर्मुखी तैलंगधर मंदिरोंमें एकांतमें ही बैठा रहता था । शिवालयोंमें तो वह समाधिस्थ हो जाता था। जन्मकुण्डलीकी स्थिति तो माता-पिता […]
कर्मा बाईजी भगवानको बालकके भावसे भजती थी | बिहारीजीसे प्रतिदिन बातें किया करती थी | एक दिन बिहारीजीसे बोली – आप मेरी एक बात मानोगे ? बिहारीजीने कहा – कहो ! क्या बात है ? कर्माबाईजीने कहा – मेरी एक इच्छा है कि एक बार अपने हाथोंसे आपको कुछ बनाकर खिलाना चाहती हूं | बिहारीजीने […]
गुरु गोरखनाथके जन्मके विषयमें जन मानसमें एक किंम्बदन्ती प्रचलित है, जो कहती है कि गोरखनाथने सामान्य मानवके समान किसी माताके गर्भसे जन्म नहीं लिया था । वे गुरु मत्स्येन्द्रनाथके मानस पुत्र थे । वे उनके शिष्य भी थे । एक बार भिक्षाटनके क्रममें गुरु मत्स्येन्द्रनाथ किसी गांवमें गये । किसी एक घरमें भिक्षाके लिये आवाज […]
विदेशी स्त्रीसे राजाके विवाहके सम्बन्धमें राजधर्म क्या कहता है ? जब यूनानी आक्रमणकारी सेल्यूकस चन्द्रगुप्त मौर्यसे हार गया और उसकी सेना बंदी बना ली गई तब उसने अपनी सुन्दर सुपुत्री हेलेनाके विवाहका प्रस्ताव चन्द्रगुप्तके पास भेजा । सेल्यूकसकी सबसे छोटी पुत्री हेलेन अत्यंत सुन्दर थीं, उसका विवाह आचार्य चाणक्यने सम्राट चन्द्रगुप्तसे कराया; परन्तु उन्होंने विवाहसे […]
निष्पाप व्यक्ति माता पार्वतीने एक बार शिवजीसे पूछा, ‘‘स्वामी, आप राम नाम इतना लेते हैं और इसका इतना महात्म्य भी बतलाते हैं; परन्तु संसारके अनेक व्यक्ति भी तो इस नामको इतना रटते हैं, ऐसेमें क्या कारण है कि उनका उद्धार नहीं होता ?’’ शिवजी बोले, ‘‘उन्हें राम नामकी महिमामें विश्वास नहीं है ।’’ माता पार्वती […]