पिछले वर्ष ईश्वरीय प्रेरणासे मैंने अपने पैतृक गांवके काली मन्दिरमें होनेवाली सामूहिक आरतीमें सामूहिक प्रार्थनाओंमें एक प्रार्थना और जुडवा दी थी, वह इस प्रकार थी, “हे काली मां ! आनेवाले भीषण कालमें हमारे राष्ट्र, राज्य, जनपद, नगर, ग्राम, कुलपर आपकी कवच निर्माण रहे, ऐसी आपके चरणोंमें प्रार्थना है ।’’ इस वर्ष मार्च मासमें हमारे गांवमें भी आधे-आधे किलोके ओले पडे और ऐसी आंधी आई कि सभीकी गेहूं, चने इत्यादिकी फसल सम्पूर्ण रूपसे नष्ट हो गई । गांवसे दिल्लीमें ‘उपासना’के आश्रममें एक साधिका आई है, वह कह रही थी कि गांवमें अब ‘उपासना’के जितने विरोधक एवं आलोचक हैं, वे कहने लगे हैं कि लगता है उसे सचमें भविष्य दिखाई देता है और वह जिस भीषण कालकी बात कर रही थी, लगता है, वह आ गया है और उस प्रार्थनाका, अब हमें भावार्थ समझमें आने लगा है ! अब उन्हें क्या बताएं यह तो उस भीषणकालका आरम्भिक चरण है, अभी तो विनाशलीलाका चरम देखना शेष है !! कालचक्र अनुसार अन्य तत्त्वोंके साथ ही पञ्च तत्त्व, पृथ्वीमें महाविनाश हेतु तत्पर हो चुकी है, अब कभी भी, कहीं भी विनाशलीला आरम्भ हो सकती है !! ख्रिस्ताब्द २०२५ तक हम अपने सभी कुटुंबके सभी सदस्योंके (कुलके सभी सदस्य) साथ जीवित बच पाएं तो यह एक बडी उपलब्धि होगी ! संतोंने तो यह भी कहा है कि इस बारका महाविनाशमें पूर्वके सभी विनाशोंसे अधिक भयावह होगा, जिसमें सर्वाधिक प्रमाणमें पुरुष मारे जाएंगे ! कुछ संतोंने तो यह भी कहा है, कि इस प्रलयको देखनेसे पूर्व ईश्वर हमें अपने पास बुला ले तो उनकी बडी कृपा होगी ! एक अन्य संतने कहा है कि आनेवाले भीषण कालमें यदि भोजन हेतु तरबूजके छिलके भी मिल जाएंगे तो बहुत होगा ! –तनुजा ठाकुर (४.५.२०१५)