हिन्दुओ ! नूतन देवालयोंका (मन्दिरोंका) निर्माण करनेसे पूर्व आपके आस-पासके मन्दिरोंकी योग्य प्रकारसे रख-रखाव, पूजा-अर्चना हो रही है या नहीं ?, यह देखें ! आपके निकट देवालय उपेक्षित पडा हो और आप नूतन देवालयका निर्माण कर रहे हों तो इसमें कोई बडप्पन नहीं है । उपेक्षित देवालयोंको धर्मशिक्षण स्थल बनाकर अपने नेतृत्व और साधकत्वका परिचय दें ! देवालय, अर्थात देवताका घर; अतः आपकेद्वारा बनाए जानेवाले देवालयकी यदि आपके जीवनकालमें उपेक्षा हुई तो आपके सम्पूर्ण परिवारको उसका कोप सहन करना पड सकता है ! यदि नूतन देवालयका निर्माण कर रहे हैं तो उसे मात्र कर्मकाण्डका, पूजा पाठका स्थल न बनाकर, धर्मशिक्षण स्थल बनाएं ।
मुसलमानोंसे कुछ सीखें ! देखें, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रोंमें भी धर्माभिमानके अभावमें जो हिन्दू छल, बल, भय, लालच या अन्य किसी परिस्थितिवश उनके धर्मको स्वीकारकर मुसलमान बन गए, उनमें वे मस्जिदके माध्यमसे किस प्रकार सजग होकर अपने तथाकथित धर्मकी घुट्टी पिलाते हैं; इसीलिए समय रहते सजग हो जाएं और अपने धर्मकर्तव्यका निर्वाह करें !
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