क्या उर्दूके साहित्यकार अपने साहित्यमें संस्कृत या तत्सम शब्द डालते हैं ?


क्या उर्दूके साहित्यकार अपने साहित्यमें संस्कृत या तत्सम शब्द डालते हैं – नहीं उनके वहां तो उस साहित्यकारके विरुद्ध सीधे ही फतवा निकल आयेगा।
क्या अपने कभी किसी आंग्लभाषा साहित्यमें हिन्दी या संस्कृत शब्दका बिना कारण प्रयोग होते देखा है, यद्यपि सच्चाई यह है कि धर्म जैसे शब्दका भी आंग्लभाषामें कोई योग्य शब्द नहीं है तथापि वे अपनी भाषाकी गरिमाको बनाए रखे हुए हैं। हिन्दू संस्कृति, भाषा, वेशभूषा, भोजन पद्धति सब कुछ सत्त्व गुण आधारित होनेके कारण वह दैवी है , परंतु आजका हिन्दू आधुनिक बननेके क्रममें विदेशी होता जा रहा है और उसे वह अपना बडप्पन मानता है और मुझे पत्र लिखता मेरे जीवन क्लेशसे भरा है क्या करूंं । ध्यान रहे वैदिक संस्कृतिसे आप जितना दूर जाएंगे, आपका जीवन उतना ही कष्टप्रद हो जाएगा यह एक चिरंतन सत्य है ! -तनुजा ठाकुर



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