दुर्जनको दंड देकर उसके पापको कम करना यह धर्म है अधर्म नहीं !!


कुछ व्यक्ति, दुर्जनों को भी प्रेम से मनः परिवर्तन करने का उपदेश देते फिरते हैं, ऐसे सभी उपदेशकों ने तालिबानी क्षेत्र में जाकर अपने प्रेम का कुछ प्रभाव दिखाये तो मैं उनके प्रेम शास्त्र को मान जाऊं !
जब दुर्जनों का राम और कृष्ण जैसे अवतार उनका मनः परिवर्तन नहीं कर पाएँ तो ये प्रेमयोग का नौटंकी कर अपनी मानसिक नपुंसकता को छुपाए रखने के लिए अहिंसा का ढोंग करने वाले उन्हें क्या सुधार पाएंगे !
दुर्जनों के संहार के संबंध में मेरे आदर्श भगवान परशुराम, भगवान राम, भगवान कृष्ण, आर्य चाणक्य , गुरु गोविंद सिंह जी, रानी लक्ष्मी बाई , शिवाजी महाराज जैसे क्षात्रतेज युक्त महापुरुष है ! मैं ईंट का प्रत्युत्तर पत्थर से देने में विश्वास रखती हूँ क्योंकि दुर्जन साँप समान होता है उसे कितना भी पोषण करें वह अंत में काटेगा ही अतः उसकी दुर्जनता को दंड देकर अन्य दुर्जनों को सतर्क करना और उस दुर्जन को दंड देकर उसके पाप को कम करना यह धर्म है अधर्म नहीं !!-तनुजा ठाकुर



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