धर्मका मूक सहमतिदार ईश्वरको प्रिय नहीं होते !!!


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अधर्म करनेवाले, राष्ट्रद्रोह करनेवाले और व्यभिचार करनेवालेको ईश्वरीय विधान अनुसार दण्ड मिलता ही है, चाहे माध्यम कोई भी बने । यदि पाप अधिक बढ जाए तो ईश्वर स्वयं अवतरित होकर दुर्जनोंका संहार करते हैं । अवतार या ईश्वर इतने दयालु होते हैं कि उनके प्रतापके परिणामस्वरूप दुर्जन भी उनके माध्यमसे तर जाते हैं !

जो धर्मके पक्षमें दृढतासे सदैव धर्मके रक्षण हेतु समर्पित होते हैं, वे ईश्वरको प्रिय होते हैं और ईश्वर उनके रक्षण हेतु तत्पर होते हैं । यदि वे धर्मयुद्धमें मृत्युको प्राप्त होते हैं तो उन्हें स्वर्ग प्राप्त होता है और यदि धर्मयुद्धमें विजयी हुए तो सुराज्य प्राप्त होता है ।

दुर्जन, जो अधर्मके पक्षमें होकर कुकर्म करते हैं, वे यह जानते हुए भी वे अनुचित कर रहे हैं और ईश्वर जो सर्वशक्तिमान हैं, उन्हें दण्ड देंगे, वे तथापि दृढ होकर लडते हैं, वे भी ईश्वरके माध्यम दण्डित होकर सद्गतिको प्राप्त होते हैं ।

मात्र धर्मके मूक समर्थक ईश्वरको प्रिय नहीं होते; अतः सज्जनो ! किसी एक पक्षके साथ हो लें , बिन पेंदेका लोटा न बनें !– पूज्या तनुजा ठाकुर

 

 



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