क्रोध और क्षात्रवृत्तिके मध्य भेद न समझनेवाले हिंदुओंकी संख्यामें अत्यधिक वृद्धि हुई है !!


क्रोध और क्षात्रवृत्तिके मध्य भेद न समझनेवाले हिंदुओंकी संख्यामें अत्यधिक वृद्धि हुई है !
जैसे किसीके सामने उसकी मां-बहनका कोई शील हरण कर रहा हो और उसे यह देखकर क्रोध न आए तथा वह उस दुर्जनका प्रतिकार न करे तो ऐसे पुरुषको नपुंसक कहते हैं, उसी प्रकार धर्मग्लानिको देखकर जब आक्रोश निर्माण हो और क्रोध आए, उसे क्षात्रवृत्ति कहते हैं ! धर्मशिक्षणके अभावमें क्रोध और क्षात्रवृत्तिके मध्य भेद न समझनेवाले हिंदुओंकी संख्यामें अत्यधिक वृद्धि हुई है ! धर्मग्लानि और राष्ट्रद्रोहकी घटनाओंको देखकर भी क्रोध न आए ऐसा समझकर अकर्मण्य होकर बैठनेवाले सारे हिन्दू अन्याय और पापके मूक पक्षधर होनेके कारण आनेवाले महाविनाशके कालमें दुर्जनों संग, वे भी दण्डके अधिकारी हो जाएंगे । वैसे ही जैसे महाभारतके समय द्रौपदीके चीरहरणको मूक होकर देखनेवाले कौरव पक्षके सभी महावीरों और धर्मवीरोंको मृत्यु दण्ड मिला !-तनुजा ठाकुर

 



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