क्षणिक सुख हेतु पर्यावरणको दूषित करनेवाले हिन्दू एवं उनपर अंकुश न लगा पानेवाले राज्यकर्ता धिक्कारके पात्र ! 


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दीपावालीके तीन दिन पश्चात् भी राष्ट्रीय राजधानी देहली एक प्रदूषित वायु कक्ष (गैस चैंबर) समान दिखाई दे रही है एवं प्रदूषकोंसे लदी धुन्धकी मोटी परतमें यह महानगर पूरे दिन लिपटा रहा, जिससे यहांके लोगोंको विषैली वायुमें सांस लेनेको विवश होना पडा । यह वृत्त अनेक समाचार पत्रोंमें प्रकाशित हुआ है । इसप्रकार देहलीमें प्रदूषणके कारण यहांकी वायु अपने सभी नैसर्गिक मापदण्डोंको लांघकर मृत्युको आमन्त्रण देनेवाली बन चुकी है । पढे-लिखे ‘मूढ हिन्दू’को कितना भी समझाया जाए तो भी वे बिना पटाखेके दीपावलीकी कल्पना ही नहीं कर सकते हैं । इससे ही आजके हिन्दुओंकी प्रवृत्ति कितनी तमोगुणी होती जा रही है, यह समझमें आता है । समष्टि हितार्थ एवं पर्यावरणके संरक्षण हेतु अपनी क्षणिक सुखका परित्याग न कर सकनेवाले निकृष्ट हिन्दू एवं विनाशकारी पटाखोंको पूर्ण रूपमें प्रतिबन्धित नहीं कर सकनेवाले राज्यकर्ता, दोनों ही धिक्कारके पात्र हैं !  – तनुजा ठाकुर (४.१०.२०१६)



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