वाराणसीमें धर्म संसदमें सन्तोंने प्रस्ताव पारित कर गंगापर बने सभी बांध तोडनेकी मांग की !


नवम्बर २५, २०१८

काशीमें शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वतीके नेतृत्वमें चल रही परम धर्म संसद १००८ में गंगा नदीको लेकर रविवार, २५ नवम्बरको एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया है कि गंगाके निर्मल प्रवाहको बनाए रखनेके लिए इस नदीपर किसी बांधका निर्माण न किया जाए और सरकारको इस सय्बन्धमें विधान बनाना चाहिए ।

धर्म संसदमें पारित प्रस्तावमें कहा गया है कि गंगा नदीपर सभी बांधको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए । साथ ही तुरंत प्रभावसे गंगा नदीमें बहाए जाने वाले औद्योगिक कचरेको रोका जाना चाहिए ।

उल्लेखनीय है कि ३ दिवसोंतक चलने वाली इस धर्म संसदमें चारों पीठोंके शंकराचार्यके प्रतिनिधि, ५४३ संसदीय क्षेत्रोंके प्रतिनिधि, देश और विदेशके साधु-संत सहित संसदमें प्रतिनिधित्व कर रहे ३६ राजनीतिक दलोंके प्रतिनिधियोंको आमन्त्रित किया गया है ।

काशी धर्म संसदमें कई मुद्दोंपर चर्चा हो रही है, जिनमें मुख्य द्वारपर काशीमें विकासके नामपर मंदिरों और प्रतिमाओंको तोडा जाना और गंगाकी स्वच्छता महत्वपूर्ण है । धर्म संसदमें पहुंचे साधु-संतोंने उनके संसदीय क्षेत्रमें मंदिरों और प्रतिमाओंके तोडे जानेको लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीकी जमकर आलोचना की ।

साधु-संतोंने प्रथम दिवसकी बैठकके मध्य प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीको धोखा देने वाला व्यक्ति बताया, जिसने गंगाकी स्वच्छताके बडे-बडे स्वप्न दिखाए, परन्तु ४.५ वर्षोंके पश्चात भी गंगाकी स्थिति वैसी ही है ।

‘आज तक’से वार्ता करते हुए शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीके प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्दने कहा कि धर्म संसदके मध्य अयोध्यामें राम मंदिर बननेके मुद्देपर भी चर्चा होगी ।

“बांध बनाकर मानव नदीको नियन्त्रित करनेका प्रयास करता रहा है, परन्तु इसके सदैव दुष्परिणाम ही सामने आए हैं । नदीको नियन्त्रण कर बांधनेसे नदी अविरल नहीं बह पाती और फिर बाढ आदिके पश्चात नदीके सूखनेकी स्थिति निर्मित होती है; अतः यदि हम गंगाको सदियोंतक अविरल बहते देखना चाहते हैं तो उसपर सभी बांध हटाना ही भविष्यके लिए योग्य निर्णय है”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : आजतक



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