धर्मशिक्षणके अभावमें सार्वजनिक धार्मिक उत्सवोंमें पूजा मंडपों हेतु विशाल मूर्ति बनाना, चिकनी मिट्टीके स्थानपर भिन्न पदार्थ जो देवता तत्त्वको मूर्तिकी ओर आकृष्ट नहीं कर सकते हैं, उनसे मूर्ति बनाना, रात्रिके समय मूर्तिके संरक्षणकी सेवा करते समय द्युत क्रिया (जुआ खेलना) कर समय व्यतीत करना, विसर्जन करते समय मद्यपान कर भद्दे चित्रपटके गीतोंपर अश्लील अभिव्यक्ति कर नृत्य करना, यह सब सार्वजनिक धार्मिक उत्सवका अविभाज्य अंग हो गया है ! इस प्रकारके धर्मद्रोह करनेवाले हिंदुओंपर क्या कभी देवताकी कृपा संभव है ?-तनुजा ठाकुर
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