वैदिक संस्कृतिके संरक्षक हैं संतवृन्द


वैदिक हिन्दू संस्कृति यदि आज तक इतने सारे आसुरी आक्रमणोंके पश्चात् भी यदि अंशमात्र जीवित है तो वह मात्र गुरु-शिष्य परम्पराके कारण ही है । सनातन संस्कृतिकी प्रतीक, यह शाश्वत परम्परा आनादि कालसे वैदिक संस्कृतिका पोषण, संवर्धन एवं रक्षण सब कुछ करती आई है । इस दैवी परम्पराके वाहक सभी सन्तवृन्दको हमारा सदर नमस्कार है – तनुजा ठाकुर (९.६.२०१७)



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