हिन्दी भाषाके शुद्ध उच्चारण


हिन्दुओ ! हिन्दी भाषाके शुद्ध उच्चारण सीखकर बोलनेका अभ्यास करें ! आज हिन्दीभाषिक राज्योंमें ही वहांके रहनेवाले विशुद्ध हिन्दी नहीं बोल पाते हैं तो शेष भारतमें विशुद्ध हिन्दीके उच्चारणकी हम अपेक्षा भी कैसे कर सकते हैं ? हमारे धर्मशास्त्रोंमें भाषाके प्रत्येक अक्षरका ही नहीं; अपितु वर्णोंके उच्चारणका विशेष महत्त्व बताया गया है । महर्षि पाणिनि, भाषाके अशुद्ध उच्चारणसे क्या हो सकता है, इस सन्दर्भमें बताते हुए पाणिनीयशिक्षा, दशमाखण्डमें कहते हैं –

अनक्षरं हतायुष्यं विस्वरं व्याधिपीडितम् ।

अक्षताश्शस्त्ररूपेण वज्रं पतति मस्तके ।।

अर्थात् व्यंजन वर्णके अशुद्ध उच्चारणसे आयुका नाश होता है और स्वर वर्णके अशुद्ध उच्चारणसे रोग होते हैं, अशुद्ध उच्चारणसे युक्त मन्त्रद्वारा अभिमन्त्रित अक्षत सिरपर वज्रपात समान गिरता है: अतः भाषाके विशुद्ध उच्चारणको सीखनेका प्रयास करें – तनुजा ठाकुर



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