सर्वधर्म समभावके इस मुद्देने तो इस देशको सर्वनाशके अंतिम छोरपर खडा कर दिया है ।


 

अनेक व्यक्ति मुझसे कहते हैं कि यदि आप अपने विचारोंका प्रसार कम समयमें अधिक व्यापक स्तरपर करना चाहती हैं तो आप हिंदुत्त्वका प्रकरण छोड सर्वधर्म समभावका विषय लें इससे आपकी बातोंको समाज सहज स्वीकार करेगा !!
मैंने कहा “सर्वधर्म समभावके इस मुद्देने तो इस देशको सर्वनाशके अंतिम छोरपर खडा कर दिया है । ऐसे तत्त्वको लेकर अपना और जगका विनाश, अन्य तथाकथित धर्मगुरुओं सम्म्मान नहीं कर सकती ! धर्म तो मात्र एक ही है, ऐसेमें सर्वधर्म समभाव कैसे हो सकता है ? जो धर्म (वस्तुतः पंथ) मंदिर तोडता हो, हिंदुओंको एक-एक कर उसके ही राज्यसे निष्काषित करता हो, अपने प्रभाव बढाकर वहां आसुरी राज्य साम्राज्य निर्माण करता हो , दरिद्र एवं अशिक्षित लोगोंको लोभ देकर उसे अपने धर्ममें लेता हो, प्रेमजालमें फांसकर नारीका शील हरण करता हो, सदैव हिन्दू धर्मके क्षरणका उपाय सोचता हो; वो भला धर्म हो सकता है  क्या ? समाजको इस भ्रमसे निकालना मेरा उद्देश्य है,  जिन्हें मेरे उद्देश्य अच्छे और सच्चे लगेंगे वे स्वतः ही इनका प्रसार करेंगे !”-तनुजा ठाकुर



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