ईश्वर के दो रूप होते है एक मारक एवं दूसरा तारक


shivtandav

ईश्वरका मारक रूप भी, ईश्वरका एक भक्तवत्सल स्वरूप ही है। उनके जो उद्दंड बच्चे धर्म, नीति और न्यायका पालन नहीं करते, सज्जनों एवं भक्तोंको अपने कृकृत्योंसे कष्ट देते हैं और जब ऐसे दुर्जनोंके कुकर्मोंसे सर्वत्र हाहाकार मच जाता है तब ईश्वर उन्हें उसी प्रकार दंड देते हैं जैसे एक सगी मां अपने बच्चेको कुमार्गपर जाते देखकर दंड देती है । मात्र ईश्वरके दंड देनेकी पद्धति इतनी निराली होती है कि जब एक दुर्जनको दंड देते हैं तो सारे दुर्जनोंको सीख मिल जाती है । जिस जीवको ईश्वर दंड देते हैं उसका कल्याण हो जाता है अर्थात ईश्वर इतने कृपालु हैं कि दंड देते समय उस जीवको सद्गति दे देते हैं ! इसलिए ईश्वर अतुलनीय एवं सदैव वंदनीय हैं – तनुजा ठाकुर



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