एक आदर्श शिष्य ही आदर्श गुरु बन सकता है !


अनेक साधक स्वयं गुरु बननेको उतावले रहते हैं ! ध्यान रहे, एक आदर्श शिष्य ही आदर्श गुरु बन सकता है ! अतः ऐसे साधक, जिन्हें गुरु बननेमें विशेष रुचि है वे अपने भीतर शिष्यके दिव्य गुणोंको आत्मसातकर किसी खरे संतकी सेवा करे तभी वे गुरु पदको प्राप्त कर पाएंगे ! अन्यथा गुरु बननेका स्वप्न, स्वप्न ही रह जाएगा ! ढोंगी गुरुको ढोंगी शिष्य ही मिलते हैं, यह एक चिरंतन सत्य है ! -तनुजा ठाकुर  (२३.१.२०१४)



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution