गंगाजीका महात्म्य :


सत्ययुगमें सभी स्थान पवित्र थे । त्रेतायुगमें पुष्कर, जबकि द्वापरयुगमें कुरुक्षेत्र सभी तीर्थोंमें पवित्र तीर्थ था तथा कलियुगमें गंगाजी परमपवित्र तीर्थ हैं । इतिहासकी दृष्टिसे प्राचीन कालसे अर्वाचीनकालतक तथा गंगोत्रीसे गंगासागरतक, गंगाकी कथा हिंदु सभ्यता एवं संस्कृतिकी अमृतगाथा है ।
गंगासागर (कपिल तीर्थ), बंगालमें स्थित यह तीर्थस्थल हिंदुओंकी आस्थाके चार धामोंमेंसे एक धामके रूपमें गिना जाता है । यात्रीगण यहांपर समुद्रस्नान, क्षौर एवं श्राद्ध करते हैं । यहांपर मकर संक्रातिके उपलक्ष्यमें तीन दिनका स्नानपर्व होता है । प्रस्तुत है गंगाजीके उपासकोंके लिए व्यष्टि एवं समष्टि साधनाके विषयमें संक्षिप्त मार्गदर्शन !

गंगाजीके भूलोकपर अवतरित होनेका दिन !
    अधिकांश पुराणोंके अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी गंगावतरणकी तिथि ही सर्वमान्य है ।
भौतिक विशेषताएं
१.    जीवनदायिनी एवं आरोग्यदायिनी : देव तथा ऋषियोंके स्पर्शसे पावन हुआ एवं हिमालयसे उद्गमित नदियोंका जल, विशेषकर गंगाजल स्वास्थ्यकारी अर्थात आरोग्यके लिए हितकारी है ।
२.    गंगाजलमें सामान्यत : ३० से ६० मिनटोंमें विषाक्त रासायनिक कूडेका ७० प्रतिशत प्रदूषण दूर होता है ।
२ अ.    मार्क ट्वेनद्वारा वैज्ञानिकोंकी सहायतासे किया गया मूल्यांकन ! : सुप्रसिद्ध अमेरिकी विचारक एवं चलचित्र अभिनेता मार्क ट्वेनने अपने फॉलोइंग दि इक्वेटर इस यात्रावर्णनमें गंगाजलका वैज्ञानिक मूल्यांकन किया है । इसे उन्हींके शब्दोंमें आगे दे रहे हैं ।
वर्ष १८९६ में आगरा पहुंचनेपर वहां एक अविस्मरणीय वैज्ञानिक शोध हुआ । वह शोध यह था कि जिसकी हम अवहेलना करते हैं, उस गंगाका कुछ मात्रामें गंदा जल विश्‍वका सबसे बडा प्रभावी कीटाणुनाशक एवं शुद्धिकारक है ।
२ आ.    कुछ वैज्ञानिकोंके निष्कर्ष
  १.    हैजेके रोगाणुओंसे दूषित गंगाजलमें लाखों लोग स्नान करते हैं एवं उन्हें रोग (हैजा) नहीं होता, यह बडा चमत्कार है । – एफ्.सी. हैरिसन, शोधकर्ता, मैगील विश्‍वविद्यालय, कैनडा.
२.    गंगा नदीके जलमें जिस प्रकारकी रोगाणुनाशक शक्ति है, वैसी शक्ति विश्‍वकी किसी भी नदीके जलमें नहीं पाई गई । – कोहीमान, जलतत्त्व विशेषज्ञ (इ.स. १९४७ में वाराणसीमें गंगाजलपर शोध करनेपर घोषित निष्कर्ष)
२ इ.   गंगाजल उष्ण (गरम) न करनेकी धर्मशास्त्रकी आज्ञाका वैज्ञानिक कारण : धर्मशास्त्रकर्ताओंने गंगाजलको तपाना निषिद्ध माना है । इसका आधारभूत वैज्ञानिक कारण यह है कि गंगाजल तपानेसे उसकी रोगाणुनाशक शक्ति नष्ट होती है  । इसलिए गंगाजलको तपाना अनुचित माना गया है ।- पंडित श्रीगंगाशंकरजी मिश्र, कल्याण हिंदू-संस्कृति अङ्क, गीताप्रेस, गोरखपुर.


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