मैंने देखा है कि जिन घरोंमें अत्यधिक क्लेश होता है वहां या तो लक्ष्मीका प्रवेश नहीं होता है या वहां लक्ष्मी हों तो वे थोडे समयमें रुष्ट होकर चली जाती हैं । यह शास्त्र वचन इस तथ्यकी पुष्टि करता है ।
मुर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम् ।
दंपत्यो कलह: नास्ति तत्र श्री: स्वयमागत: ।।
अर्थ : जहां मूर्खोंकी पूजा नहीं होती है अर्थात जहां निर्णयप्रणालीमें मूर्खोंसे राय नहीं ली जाती है, जहां धान्यका योग्य प्रकारसे संचय किया जाता हो, जहां पति-पत्नीमें क्लेश नहीं होता वहां समृद्धि (लक्ष्मी) विराजती है ।
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