स्वर्ण मंदिरमें चित्र और विडियोपर प्रतिबन्धके पश्चात अब भ्रमणभाषपर बात करनेपर लगेगा प्रतिबन्ध !


जनवरी १०, २०१९

पंजाबके अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिरमें फोटो और विडियोपर प्रतिबन्ध लगानेके पश्चात अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक समिति (एसजीपीसी) भ्रमणभाषके (मोबाइलके) प्रयोगपर प्रतिबन्ध लगानेका विचार कर रही है । वहीं समितिने फोटो प्रतिबन्धपर कुछ छूट दे दी है । अब नूतन नियमके अनुसार, समाचारकर्मी और श्रद्धालु कुछ विशेष स्थान और विशेष परिस्थितियोंमें चित्र और विडियो बना सकते हैं ।


एसजीपीसीके मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंहने कहा, “मंदिर परिसरके भीतर भ्रमणभाषका प्रयोग इसकी अखण्डतामें विघ्न उत्पन्न करने जैसा है । एसजीपीसी तत्काल प्रभावसे भ्रमणभाष प्रतिबन्ध करनेका निर्णय नहीं ले रहा; परन्तु निकट भविष्यमें मंदिर परिसरके भीतर भ्रमणभाषपर प्रतिबंध लगाना होगा । हम परिक्रमामें एक स्थान निर्धारित करेंगें, जहां पत्रकार चित्र लेनेके साथ विडियो बना सकते हैं; परन्तु हम उन्हें दर्शन करने आए श्रद्धालुओंको रोककर इधर-उधर पोज देनेकी अनुमति नहीं देंगें ।”
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओंको भी सरोवरके इर्द-गिर्द चित्र लेनेकी आज्ञा होगी; परन्तु सेवादार ही इसके लिए उन्हें निर्देश देंगें । यह नियम प्रत्येक व्यक्तिके लिए होगा ।

एसजीपीसी अधिकारियोंने प्रतिबन्धको उचित बताते हुए कहा कि स्वर्ण मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, वरन एक आध्यात्मिक केन्द्र भी है, जहां लोग आन्तरिक शांति, मुक्ति और ईश्वरसे आशीर्वाद मांगने आते हैं । एक अधिकारीने कहा, “यह दुखद है कि लोग यहां आकर कैमरेके सामने यहां-वहां ‘पोज’ देते हैं, ताकि स्वर्ण मंदिर पीछे दिखाई दे ।”


डॉ. रूप सिंहने कहा कि एसजीपीसीको श्रद्धालुओंकी परिवाद मिली हैं, जिसमें उन्होंने सिखोंके पवित्र स्थलके भीतर चित्र लेनेपर आपत्ति प्रकट की है । उन्होंने कहा कि लोग प्रायः स्वर्ण मंदिरको सर सपाटेका स्थान समझते हैं । यह कोई भ्रमण स्थल नहीं है, वरन धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वका स्थान है ।

 

“धार्मिक स्थल सात्विकताका केन्द्र होते हैं, वहां देवमर्यादाके कुछ नियम होते हैं, जो सभीने पालन करने होते हैं, अन्यथा हम देवकोपके भाजन बनते हैं । सात्विक स्थलोंपर किसी भी शिवत्वहीन आधुनिक यन्त्रोंके प्रयोगपर प्रतिबन्ध होना चाहिए; क्योंकि इनसे रज-तमकी किरणें प्रक्षेपित होती हैं, जो वहांकी सात्विकताके विरुद्ध है । आजकल देवस्थानोंपर धर्मविमुख हिन्दुओंद्वारा स्वचित्र लेनेका (सेल्फीका) प्रचलन बढा है, जो सर्वथा अयोग्य है ! इन नियमोंका पालन सभी मन्दिरोंने सख्तीसे करना चाहिए और जो पालन न करें, वह देवदर्शनका अधिकार नहीं है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : नभाटा



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