गुरु धारण करेने सम्बंधित कुछ दृष्टिकोन
कुछ साधक, गुरु धारणकर लेते हैं; किन्तु गुरुके बताए अनुसार साधना नहीं करते हैं । उनके लिए गुरु धारण करना मात्र एक कर्मकाण्ड होता है अर्थात मानसिक सन्तुष्टि हेतु वे ऐसा करते हैं । कुछ तो आजके कुछ सुप्रसिद्ध तथाकथित गुरुओंके आश्रमसे इसलिए जुडते हैं कि उनकी स्वार्थसिद्धि हो ! ऐसे लोगोंकी आध्यात्मिक प्रगति नहीं होती है । – (पू.) तनुजा ठाकुर
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