गुरु गोरखनाथका जन्म


गुरु गोरखनाथके जन्मके विषयमें जन मानसमें एक किंम्बदन्ती प्रचलित है, जो कहती है कि गोरखनाथने सामान्य मानवके समान किसी माताके गर्भसे जन्म नहीं लिया था । वे गुरु मत्स्येन्द्रनाथके मानस पुत्र थे । वे उनके शिष्य भी थे । एक बार भिक्षाटनके क्रममें गुरु मत्स्येन्द्रनाथ किसी गांवमें गये । किसी एक घरमें भिक्षाके लिये आवाज लगानेपर गृह स्वामिनीने भिक्षा देकर आशीर्वादमें पुत्रकी याचना की । गुरु मत्स्येन्द्रनाथ सिद्ध तो थे ही, उनका हृदय दया ओर करुणामय भी था; अतः गृह स्वामिनीकी याचना स्वीकार करते हुए गुरुजीने उन्हें पुत्रका आशीर्वाद दिया और एक चुटकी भर भभूत देते हुए कहा कि यथासमय वे माता बनेंगी । गुरुजीने कहा, “एक महा तेजस्वी पुत्र होगा जिसका यश दिगदिगन्त तक फैलेगा” । आशीर्वाद देकर गुरु  मत्स्येन्द्रनाथ अपने देशाटनके क्रममें आगे बढ गये । बारह वर्ष बीतनेके पश्चात् गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उसी ग्राममें पुनः आये । कुछ भी परिवर्तित नहीं हुआ था । गांव वैसा ही था । गुरुका भिक्षाटनका क्रम अब भी जारी था । जिस गृह स्वामिनीको अपनी पिछली यात्रामें गुरुजीने आशीर्वाद दिया था, उसके घरके पास आनेपर गुरुको बालकका स्मरण हो आया । उन्होने घरमें अलख लगाई । वही गृह स्वामिनी पुनः भिक्षा देनेके लिये प्रस्तुत हुई । गुरुजीने बालकके विषयमें पूछा । गृहस्वामिनी कुछ देर तो चुप रही; परंतु सच बतानेके अतिरिक्त कोई उपाय न था । उसने तनिक लज्जा, थोडे संकोचके साथ सबकुछ सच सच बतला दिया । हुआ यह था कि गुरु मत्स्येन्द्रनाथसे आशीर्वाद प्राप्तिके पश्चात् उसका दुर्भाग्य जाग गया था । पास-पडोसकी स्त्रियोंने राह चलते ऐसे किसी साधुपर विश्वास करनेपर उसका अत्यधिक उपहास किया । उसमें भी कुछ कुछ अविश्वास जागा था और उसने गुरु प्रदत्त भभूतिका निरादर कर उसका सेवन नहीं किया । उसने भभूतिको पासके गोबरके गड्डेमें फेंक दिया था । गुरु मत्स्येन्द्रनाथ तो सिद्ध महात्मा थे ही,  अपने ध्यानबलसे उन्होंने सब कुछ ज्ञात कर  लिया । वे गोबरके गड्डे पास गये और उन्होंने बालकको पुकारा । उनके बुलावेपर एक बारह वर्षका एक तेजस्वी मुख, उच्च ललाट एवं आकर्षण की प्रतिमूर्तिवाला स्वस्थ बच्चा गुरुके सामने आ खडा हुआ । गुरु मत्स्येन्द्रनाथ बच्चेको लेकर चले गये । यही बच्चा आगे चलकर अघोराचार्य गुरु गोरखनाथके नामसे प्रसिद्ध हुआ ।

उच्च कोटिके सिद्ध, संत, तपस्वी अपने संकल्पके बलपर तेजस्वी जीवको भूतलपर समाजहित हेतु जन्म देने की क्षमता रखते हैं | इस प्रसंगसे हमें यह सीख मिलती है |



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